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क्या 1 लाख आदिवासी गांवों की बदलेगी तस्वीर

केंद्र सरकार एक जनजातीय आउटरीच प्रोग्राम शुरू कर रही है. जिसके तहत 1 लाख आदिवासी गांवों को सशक्त बनाना है. इस कार्यक्रम के तहत ग्रामीण अपनी पंचवर्षीय विकास योजनाएं स्वयं तैयार करेंगे.

इसके लिए 20 लाख अधिकारियों को ट्रेनिंग दी जाएगी ताकि सरकारी योजनाएं जमीनी स्तर तक पहुंचें.

इसके साथ ही प्रत्येक गांव में आदि सेवा केंद्र स्थापित होंगे, जो शिकायतों का समाधान और जानकारी प्रदान करेंगे.

20 लाख अधिकारियों की दी जाएगी ट्रेनिंग

इस योजना के तहत 2 अक्तूबर तक करीब 1 लाख आदिवासी गांव अपनी पंचवर्षीय विकास योजनाएं तैयार करेंगे. इस पहल का लक्ष्य सरकारी योजनाओं को जमीनी स्तर तक पहुंचाना है.

इस पहल की शुरुआत 20 लाख अधिकारियों की ट्रेनिंग से शुरू होगी. फिर ग्रामीणों को विकास योजनाएं बनाने, सभी सरकारी योजनाओं को शामिल करने और प्रत्येक गांव में शिकायत निवारण के लिए एकल-खिड़की केंद्र स्थापित करने में शामिल किया जाएगा.

जनजातीय मामलों के मंत्रालय ने आदि कर्मयोगी अभियान या व्यवहार परिवर्तन कार्यक्रम के लिए 324 जिलों के गांवों की पहचान की है.

इकोनॉमिक्स टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस कार्यक्रम के बड़े लक्ष्य हैं. मुख्य ध्यान अधिकारियों के प्रशिक्षण पर है लेकिन इसके परिणामों में सरकारी योजनाओं का 100 फीसदी समावेश और ग्रामीण विकास योजना शामिल है.

उन्होंने कहा कि अधिकारियों को प्रशिक्षित किया जाएगा ताकि वे पोषण, स्वास्थ्य, आवास और शिक्षा जैसी योजनाओं को लक्षित लाभार्थियों तक पहुंचाएगा.

उन्होंने बताया प्रशिक्षण ब्लॉक और ग्राम स्तर तक होगा, जिसके बाद अधिकारी ग्रामीणों को ऐसी योजनाएं बनाने में मदद करेंगे जो ग्रामीणों द्वारा लागू की जाएं.

अधिकारी ने कहा कि इससे प्रशासन को ग्रामीणों की आकांक्षाओं के अनुसार संसाधनों का उपयोग करने में मदद मिलेगी.

इसके अलावा प्रत्येक गांव में आदि सेवा केंद्र स्थापित होंगे. यह एकल सुलभ केंद्र होगा, जिसमें हर सरकारी विभाग के प्रभारी अधिकारी, योजनाओं और लाभार्थियों की जानकारी, शिकायत निवारण रजिस्टर, अधिकारियों के दौरे का कैलेंडर और प्रत्येक विभाग के लिए गांव से नियुक्त व्यक्ति के कॉन्टैक्ट डिटेल होंगे.

हर सोमवार को गांव जाएंगे अधिकारी

इससे योजनाओं के कार्यान्वयन को सुव्यवस्थित करने और सरकार की जवाबदेही सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी. हर सोमवार को एक अधिकारी गांव में जाकर ग्रामीणों की शिकायतों का समाधान करेगा और सेवा केंद्र के शिकायत निवारण रजिस्टर में उठाए गए कदमों को दर्ज करेगा.

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