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आदिवासी विधायक करेंगे विधानसभा सत्र का बहिष्कार


आदिवासी विधायक विधानसभा सत्र का बहिष्कार अपनी सुरक्षा और इंफाल में चल रही हिंसा को ध्यान में रखकर कर रहे हैं. इसके साथ-साथ इन आदिवासी विधायकों की मांग मणिपुर में आदिवासियों के लिए अलग प्रशासन बनाने को लेकर भी हैं.

विधायकों ने पहले अलग प्रशासन बनाने को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक ज्ञापन भेजा था. जिसमें पांच पहाड़ी जिलों चुराचांदपुर, कांगपोकपी, चंदेल, तेंगनौपाल और फेरज़ॉ के लिए मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक पदों की मांग की गई थी.

हालाकी गृह मंत्री अमित शाह, मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह, भाजपा, COCOMI यानी मैतेई निकाय समन्वय समिति ऑन मणिपुर इंटीग्रिटी और अन्य संगठनों ने अलग प्रशासन की मांग का विरोध किया हैं.

मणिपुर के इंफाल की हिंसा

3 मई को शुरु हुई मेइतेई शासन राज्य की राजधानी इंफाल की हिंसा में 130 से अधिक लोगों की मृत्यु और 600 से अधिक लोग घायल हुए हैं.
इंफाल घाटी कुकी-ज़ोमी-हमर लोगों के लिए ‘मौत की घाटी’ बन गई है.

आदिवासी विधायकों में से एक विधायक ने विधायक वुंगजागिन वाल्टे जो 10 आदिवासी विधायक में से हैं. वह 4 मई को इंफाल में मुख्यमंत्री के आधिकारिक बंगले पर एक बैठक से लौटते समय उन पर हमलावरों ने हमला करके मरने के लिए छोड़ दिया था.

इस हिंसा पर ITFP यानी इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम के वरिष्ठ आदिवासी नेता वुअलज़ोंग ने कहा आदिवासी मंत्री, विधायक और आम जनता मेइतेई शासन राज्य की राजधानी इंफाल का दौरा करने से डरते हैं. वुअलज़ोंग ने कहा इंफाल हिंसा में जो आदिवासीयों पर हमला हो रहा है उस पर एकजुटता व्यक्त करने के लिए विधानसभा सत्र का बहिष्कार कर रहे हैं.

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