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पिता की मौत ने दिखाया 12 साल के इरुला आदिवासी लड़के को भविष्य का रास्ता

इरुला आदिवासी समाज के 12 साल के जगन को पिछले साल मई में एक गहरा झटका लगा जब उन्होंने अपने पिता को खो दिया. कोविड पॉज़िटिव होने के चलते उनके पिता को इलाज के बिना अस्पताल से वापस घर भेज दिया गया था.

जगन के लिए मरते हुए अपने पिता के पास अकेले एक पूरी रात बैठना एक डरावने सपने से कम नहीं था. सिर पर लगी चोटों की वजह से वो पूरी रात बेसुध पड़े रहे, और सबुह होने से पहले उन्होंने दम तोड़ दिया.

जगन घर पर अकेला इसलिए था क्योंकि उसकी माँ और दादी को कोविड टेस्ट के लिए एक सरकारी अस्पताल ले जाया गया था. मरने वाले और उसके बेटे की मदद के लिए न तो कोई पड़ोसी और न ही कोई रिश्तेदार आगे आए, क्योंकि उन्हें कोविड संक्रमण का डर था.

यह घटना जगन के परिवार के लिए बेहद दुखदायी ज़रूर है, लेकिन उनके भविष्य के लिए आशा की एक किरण भी लाई है.

पिता की मौत के बाद परिवार को रेड क्रॉस और इरुलर ट्राइबल प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स ऑर्गनाइजेशन के वॉलंटियर्स से मदद मिली. इनमें से एक वॉलंटियर ने परिवार की दुर्दशा देखकर जगन को गोद लेने का फैसला किया.

45 साल के इस वॉलंटियर ने जगन से मिलने से एक-दो दिन पहले ही अपने पिता को खोया था. इन हालात में जब वो जगन से मिले तो इतनी कम उम्र में पिता को खोने वाले इस लड़के का दर्द उनके दिल को छू गया.

अब इरुलर ट्राइबल प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स एसोसिएशन और दूसरे अधिकारियों से औपचारिक रूप से जगन को गोद लेने की अनुमति उन्हें मिली है.

जगन बड़े होकर डॉक्टर बनना चाहते हैं. वॉलंटियर द्वारा गोद लिए जाने के बावजूद वो अपने गांव जाते हैं, और अपनी मां से मिलते हैं.

जगन का कहना है, “मेरी माँ गाँव में घर पर अकेली है, लेकिन वो चाहती है कि मेरा जीवन बेहतर हो. इसके लिए वो मेरे दूर रहने के लिए तैयार है. बड़ा होकर मैं डॉक्टर बनूंगा और अपनी मां की देखभाल करूंगा. मैं मरने वाले पिताओं को भी बचाउंगा ताकि उनके बच्चे दुनिया में अकेले न रह जाएं.”

(फ़ोटो प्रतीकात्मक है)

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