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आंध्र प्रदेश: सिकल सेल रोग की पहचान के लिए 14 लाख आदिवासियों की होगी स्क्रीनिंग

आंध्र प्रदेश (Andhra Pradesh) में सिकल सेल रोग (sickle cell disease) की स्क्रीनिंग (screening) आठ एकीकृत आदिवासी विकास एजेंसियों (Integrated tribal development agency) में आयोजित होगी. इसे केंद्र सरकार द्वारा वित्त पोषित किया जाएगा.

इस साल जुलाई में पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा लॉन्च किए गए राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन 2047 के तहत सभी आईटीडीए में 8,324 बस्तियों के लगभग 3.72 लाख घरों में विशेष रूप से कमजोर आदिवासी समूहों (पीवीटीजी) सहित 34 समुदायों के 14.89 लाख आदिवासियों के लिए स्क्रीनिंग आयोजित की जाएगी.

आदिवासी कल्याण विभाग के ट्राइबल कल्चर रिसर्च एंड ट्रनिंग मिशन (tribal culture research and training mission) द्वारा सभी आदिवासियों की स्क्रीनिंग की जाएगी. इसमें 40 वर्ष तक के लगभग 20 लाख लोग शामिल होंगे.
साथ ही इन सभी 20 लाख लोगों की स्क्रीनिंग तीन साल में पूरी होगी.

अभी तक आंध्र प्रदेश के 53,428 आदिवासी लोगों की स्क्रीनिंग की जा चुकी है. इनमें से 1,800 लोगों में एससीडी (सिकल सेल रोग) पाया गया है. वहीं अन्य 522 में इसके लक्षण मौजूद थे.

टीसीआर एंड टीम (TCR & TM) यानी ट्राइबल कल्चर रिसर्च एंड ट्रनिंग मिशन के निदेशक चिन्ना बाबू ने कहा, “आठ आईटीडीए के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों में हमारा पूरा ध्यान केंद्रित है. ताकि एससीडी का उद्यश्य पूरा हो सकें. केंद्र सरकार द्वारा हमें यह लक्ष्य दिया गया है की इन तीन सालों में 19,90,277 लोगों की स्क्रीनिंग पूरी हो जाए.”

सिकल सेल रोग एक जेनेटिक बीमारी है. देश में सबसे ज्यादा आदिवासी ही इस बीमारी से पीड़ित है. एक रिपोर्ट के अनुसार 86 आदिवासी बच्चों में से एक आदिवासी बच्चा इस बीमारी से पीड़ित होता है.

यह बीमारी ज्यादातर मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, छत्तीसगढ़, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, तमिलनाडु, तेलंगाना, कर्नाटक, असम, आंध्र प्रदेश, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और केरल जैसे राज्यों में फैली हुई है.

क्या है सिकल सेल रोग

सिकल सेल एक जेनेटिक बीमारी है. अर्थात किसी भी व्यकित के माता- पिता द्वारा ही सिकल सेल रोग उसके शरीर में प्रवेश कर सकता है.

इसमें व्यक्ति के रक्त में असामान्य हीमोग्लोबिन आ जाते हैं. इन असामान्य हीमोग्लोबिन की वजह से लाल रक्त (blood) में कोशिकाएं (cell) सिकल (दरांती) के आकार की हो जाती हैं. यह उनकी ऑक्सीजन ले जाने की क्षमता और रक्त प्रवाह की मात्रा को कम कर देती है.

रक्त हमारे शरीर के अंग में ऑक्सीजन पहुंचाने का कार्य करता है. इसलिए अगर रक्त प्रवाह की मात्रा कम हो जाती है तो सओक्लुसिव क्राइसिस (शरीर की नसे ब्लॉक हो जाना), फेफड़ो में संक्रमण (lungs infection), एनीमिया गुद्रे और युक्त की विफलता, सांस छोड़ने और लेने में दिक्कत (problem in inhale and exhale of oxygen), स्ट्रोक (मस्तिष्क में खून की कमी या अचानक सिर के अंदर खून बहना) आदि जैसी बीमारियों से व्यक्ति की मौत भी हो सकती है.

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