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आदिवासी लड़के ने 37 लोगों को मानव तस्करी का शिकार होने से बचाया

महाराष्ट्र के नागपुर में एक 17 साल के आदिवासी लड़के ने बहादुरी और समझदारी दिखाकर 37 लोगों की ज़िंदगी बचा ली.

यह लड़का मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले के एक छोटे से गांव का रहने वाला है. वह खुद एक मजदूर है और बीए की पढ़ाई कर रहा है.

जब उसे पता चला कि उसे और उसके गांव के बाकी लोगों को धोखे से कहीं और ले जाया जा रहा है, तो उसने पुलिस को फोन करके सबकी जान बचा ली.

यह सभी मजदूर छिंदवाड़ा जिले के एक छोटे से गांव से थे.

इन्हें एक ठेकेदार ने बताया कि उन्हें सौंसर में सोयाबीन की कटाई का काम मिलेगा और हर दिन 400 रुपये मजदूरी दी जाएगी.

इस पर गांव के 37 लोग तैयार हो गए. इनमें महिलाएं, पुरुष और 9 बच्चे भी थे. यह आदिवासी लड़का भी उन्हीं में से एक था. उसकी मां भी मजदूरी के लिए जा रही थी.

जब सब लोग बस में बैठकर निकले तो उन्हें बताया गया कि उन्हें अब नागपुर के पास मांसार जाना है.

कुछ लोगों को शक हुआ और उन्होंने सवाल पूछे, लेकिन तस्करों ने उन्हें डरा दिया. उन्होंने कहा कि अगर किसी ने विरोध किया तो उन्हें ₹1.5 लाख का नुकसान भरना होगा.

सभी डर गए और चुप हो गए.

इसके बाद तस्कर उन्हें और आगे महाराष्ट्र के सतारा ज़िले की तरफ ले जाने वाले थे. यह सब देखकर उस लड़के को समझ आ गया कि कुछ गलत हो रहा है.

बस जब रास्ते में वॉशरूम के लिए रुकी, तो उस लड़के ने चुपचाप अपना मोबाइल निकाला और 112 नंबर पर पुलिस को फोन किया.

उसने बहुत ही शांत आवाज़ में बताया कि वे सभी लोग किसी गलत जगह ले जाए जा रहे हैं और उन्हें मदद चाहिए.

पुलिस ने लड़के की बात को गंभीरता से लिया और तुरंत कार्रवाई की.

बस जब नागपुर शहर के पास पहुंची तो ड्राइवर और तस्कर बस से भाग गए. मजदूरों को बस में ही छोड़ दिया गया था. पुलिस ने सभी को सुरक्षित रेलवे स्टेशन के पास से लिया और थाने लाया.

पुलिस ने उन्हें खाना, पानी और आराम करने की जगह दी. बच्चे और महिलाएं बहुत डरे हुए थे.

जिले की महिला और बाल विकास टीम भी मौके पर पहुंची और बच्चों की देखभाल की. इस दौरान

एक सामाजिक संस्था ‘प्रदीपन’ ने भी मजदूरों की मदद की और पूरी जानकारी पुलिस को दी.

नागपुर के पुलिस कमिश्नर रविंदर सिंगल ने इस पूरे ऑपरेशन को “ऑपरेशन शक्ति” नाम दिया.

उन्होंने कहा कि उस 17 साल के लड़के ने जो बहादुरी दिखाई, वह बहुत बड़ी बात है.

अगर उसने समय पर पुलिस को फोन नहीं किया होता, तो सभी मजदूरों को दूर किसी जगह बेच दिया जाता और फिर उनका पता लगाना मुश्किल होता.

पुलिस ने इस मामले में मानव तस्करी और बंधुआ मजदूरी का केस दर्ज किया है.

आरोपी तस्करों की पहचान कर ली गई है और उन्हें पकड़ने की कोशिश की जा रही है.

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