Mainbhibharat

19 आदिवासी लड़कियों को मानव तस्करी से बचाया गया, 14 नाबालिग हैं

28 जनवरी, रविवार को राज्य सूचना और जनसंपर्क विभाग ( State information and public relation department) ने बताया की दिल्ली (Delhi), हरियाणा (Haryana) और उत्तराखंड (uttrakhand) में 19 आदिवासी लड़कियों को मानव तस्करी से बचाया गया है. जिसमें 14 नाबालिगों(14 minor tribal girl) लड़िकयां विशेष रूप से कमजोर जनजाति समुदाय (PVTG) से है.

यह दावा किया जा रहा है की आदिवासी लड़कियों को घरेलू नौकरों के रूप में काम करने के लिए बेचा गया था. ये भी पता चला है की मानव तस्करी करन वाले आरोपियों ने आदिवासी पीड़िताओं के साथ यौन शोषण भी किया था.

पुलिस आधिकारी से मिली जानकारी के अनुसार इस बचाव अभियान में दिल्ली पुलिस की सहायता करने और लड़कियों को वापस लाने के लिए साहिबगंज जिला पुलिस की एक टीम को राजधानी दिल्ली में भेजा गया था.

साहिबगंज के एसपी कुमार गौरव ने कहा, “कई और लड़कियों को ऐसे मानव तस्करी के जाल से मुक्त कराने के लिए दिल्ली में विभिन्न स्थानों पर बचाव अभियान अभी भी जारी है.”

उन्होंने कहा कि इस मामले से जुड़ी संबंधित सभी जानकारी एक या दो दिन में साझा कर दी जाएगी.

उन्होंने आगे कहा की बचाई गई लड़कियों से जुड़े कुछ कानूनी काम रहे गए है. उसे पूरा करने के बाद उन्हें वापस उनके घर भेज दिया जाएगा.

इसके अलावा इस मामले से जुड़े अब तक दो लोगों कि गिरफ्तारी की जा चुकी है.

इस बारे में मिली जानकारी के मुताबिक इन आदिवासी लड़कियों को दक्षिण दिल्ली में स्थित चुडकी नामक प्लेसमेंट एजेंसी ने घरेलू सहायिका के रूप में नियुक्त किया था, और उन्होंने आदिवासी पीड़िता को प्रत्येक तस्कर से 35,000 रुपये में खरीदा था.

जब तस्कर और प्लेसमेंट एजेंसी के बीच किसी बात पर असहमति हुई तो उनको शिकायत करने के लिए दिल्ली में स्थित झारखंड भवन का दरवाजा खटखटाना पड़ा.

इसके अलावा 23 जनवरी को झारखंड भवन में, मिशन मुक्ति फाउंडेशन(मानव तस्करी में काम करने वाले एक गैर सरकारी संगठन) सहित विभिन्न हितधारकों द्वारा आदिवासी लड़कियों के तस्करी की शिकायत दर्ज की थी. जिसके बाद प्रशासन ने इस पर कार्रवाई की थी.

इस पूरे मामले में सबसे दुखद बात ये है कि इन नाबालिग लड़कियों की तस्करी की ख़बर इसलिए बाहर आ गई क्योंकि प्लेसमेंट ऐजेंसी और तस्करी में शामिल लोगों के बीच लेन-देन का विवाद हुआ.

अगर ऐसा नहीं होता तो शायद यह ख़बर कभी बाहर ही नहीं आती. उस सूरत में ये आदिवासी लड़कियां शोषण के चक्र में फंसी रहती.

Exit mobile version