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जम्मू-कश्मीर: आदिवासी छात्रों के लिए जल्द शुरु होंगे 20 नए हॉस्टल

जम्मू-कश्मीर में 3,000 आदिवासी छात्रों की क्षमता वाले बीस नए हॉस्टल चालू वित्त वर्ष से काम करना शुरू कर देंगे. यह घोषणा जनजातीय मामलों के विभाग की एक बैठक के बाद हुई, जिसमें समुदाय के लिए विभिन्न प्रस्तावों को अंतिम रूप दिया गया.

जम्मू-कश्मीर प्रशासन का कहना है कि आदिवासी छात्रों की शिक्षा पर ध्यान देने के लिए ख़ास परियोजनाओं की प्रक्रिया शुरू की गई है. इनमें उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के निर्देश पर 20 नए छात्रावासों की स्थापना, मॉडल रेज़िडेंशियल स्कूल और छात्रों के लिए खास स्कॉलरशिप योजना शामिल है.

नए हॉस्टलों की स्थापना के लिए संबंधित जिला प्रशासन को राज्य की ज़मीन दी जाएगी. उम्मीद है कि इससे कॉलेजों और हायर सेकेंडरी स्तर पर पढ़ने वाले छात्रों को भी रहने की अच्छी सुविधाएं मिल सकेंगी. सरकार का इरादा अगले दो सालों में आदिवासी छात्रों के लिए 50 नए हॉस्टल स्थापित करना है.

इसके अलावा सीज़नल केंद्रों में नामांकित छात्रों के लिए ख़ास स्कॉलरशिप योजना तैयार करने के लिए गठित समिति की रिपोर्ट की भी समीक्षा की गई है. इस नई योजना के तहत लड़कों के लिए 450 रुपये और लड़कियों के लिए 675 रुपये के मौजूदा स्लैब की जगह 2,400 रुपये तक की स्कॉलरशिप दी जाएगी.

इससे 1,200 सीज़नल शिक्षा केंद्रों में 34,000 से ज़्यादा छात्रों को फ़ायदा होगा, और उम्मीद है कि आदिवासी छात्रों के बीच शिक्षा को भी बढ़ावा मिलेगा.

जम्मू-कश्मीर में प्रारंभिक शिक्षा को हर तबके और हर समुदाय के हर बच्चे तक पहुंचाने के लिए 2002-03 में सीज़नल शिक्षा केंद्र की पहल शुरु की गई थी. इसके तहत खानाबदोश समुदाय के बच्चों की स्कूल तक पहुंच बढ़ाने पर ज़ोर था. खानाबदोश समुदाय गर्मियों में अपनी ज़रूरत के हिसाब से एक

प्रभाग से दूसरे में पलायन करते हैं. इनकी पढ़ाई में मदद करने में सीज़नल शिक्षा केंद्र काफ़ी कारगर साबित होते हैं.

बैठक में यूनिफ़ॉर्म, स्कूल बैग, खेल सामग्री और पढ़ाई की सामग्री से संबंधित अतिरिक्त सहायता पर भी चर्चा की गई.

इसके अलावा 10 नए एकलव्य मॉडल रेज़िडेंशियल स्कूलों (ईएमआरएस) की भी सिफारिश की गई है. इस महीने छह ऐसे स्कूल शुरु किए जा रहे हैं जिनमें राजौरी में दो, और अनंतनाग, कुलगाम, बांदीपोरा और पुंछ में एक-एक ईएमआरएस शामिल हैं.

बैठक के दौरान जनजातीय मामलों के विभाग के सचिव, शाहिद इकबाल चौधरी ने अधिकारियों को जिला प्रशासन और क्षेत्रीय विभागों के साथ समन्वय के लिए नई परियोजनाओं को समय पर शुरू करने और स्मार्ट स्कूलों समेत चल रही दूसरी शैक्षिक परियोजनाओं के कार्यान्वयन को समय से सुनिश्चित करने के लिए कहा.

आदिवासी क्षेत्रों में प्राथमिक स्तर पर शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए अलग-अलग शैक्षिक सहायता पहलों पर भी विचार किया गया और आदिवासी छात्रों को सबसे बेहतर मौक़े सुनिश्चित करने के लिए बुनियादी सुविधाओं के आधार के बारे में भी बात हुई.

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