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21 साल की आदिवासी लड़की ने रचा इतिहास, बनीं कटक नगर निगम की डिप्टी मेयर

शहर की झुग्गी बस्ती में पली-बढ़ी एक 21 साल की संथाली आदिवासी लड़की ने कटक नगर निगम (Cuttack Municipal Corporation – CMC) के चुनाव में इतिहास रच दिया है. दमयंती मांझी न सिर्फ़ सबसे कम उम्र की डिप्टी मेयर चिनी गई हैं, बल्कि वो इस पद पर बैठने वाली पहली आदिवासी महिला भी हैं.

रेनशॉ यूनिवर्सिटी में एमकॉम की पढ़ाई कर रही दमयंती मांझी गुरुवार को निर्विरोध चुनी गईं. दमयंती कॉलेज जाने वाली अपने परिवार की पहली व्यक्ति हैं. अधिकारियों ने मीडिया को बताया कि दमयंती पूरे ओडिशा में अब तक की सबसे कम उम्र की डिप्टी मेयर हैं.

शहर के बलिसाही झुग्गी बस्ती में जन्मी दमयंती के तीन भाई-बहन हैं. वो इनमें सबसे बड़ी हैं, और सबी पढ़ाई कर रहे हैं. दमयंती ने 2017 में अपने पिता को खो दिया, और उसकी माँ एक दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम करती हैं.

दमयंती के लिए यह कोई चौंकाने वाली बात नहीं थी कि सत्ताधारी दल ने शहर के नगर निगम में दूसरे सबसे बड़े पद के लिए उन्हों नामांकित किया. डिप्टी मेयर का चुनाव लड़ने से पहले ही वो शहर के स्थानीय निकाय चुनावों में BJD के टिकट पर वॉर्ड 49 से सीएमसी का चुनाव लड़कर जीत चुकी थीं. यह चुनाव भी इतिहास रचने वाला ता, जब वो कटक की सबसे कम उम्र के नगरसेवक के रूप में चुनी गईं.

“मैं राजनीति में बिल्कुल नई थी. चूंकि हमारे वॉर्ड में पार्षद का पद अनुसूचित जनजाति (एसटी) के उम्मीदवार के लिए आरक्षित है, इसलिए BJD ने मुझे इसके लिए अपनी पार्टी का उम्मीदवार बनने के लिए संपर्क किया. मुझ पर विश्वास करने के लिए मैं पार्टी अध्यक्ष और मुख्यमंत्री नवीन पटनायक को धन्यवाद देती हूं. मुझे वोट देने वालों को भी मैं धन्यवाद कहना चाहूंगी. मैं सभी के लिए काम करना जारी रखूंगी,” 21 साल की दमयंती ने जीतने के बाद कहा.

उन्होंने कहा कि डिप्टी मेयर के तौर पर उनकी प्राथमिकता शहर की लंबे समय से चली आ रही समस्याओं का समाधान करना होगा. इनमें खराब ड्रेनेज, वॉटरलॉगिंग की समस्या, ट्रैफिक जाम, अनियमित पानी की आपूर्ति और खराब स्ट्रीट लाइट कुछ प्रमुख मुद्दे हैं.

दमयंती ने कहा कि इन मुद्दों पर उनका ख़ाम ध्यान रहेगा. इसके अलावा पढ़ाई और राजनीति के बीच भी उन्हें तालमेल बिठाना होगा. अपनी मास्टर डिग्री हासिल करने के बाद उनका प्लान पूरी तरह से राजनीति में उतर जाने का है.

डिप्टी मेयर चुनाव के दौरान विरोधी कांग्रेस और भाजपा के कार्यकर्ताओं ने वॉकआउट किया, जिसके बाद दमयंती को विजेता घोषित कर दिया गया था. दोनों पार्टियां चुनाव में खुले मतदान के नए नियमों का विरोध कर रही थीं.

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