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तेलंगाना की 717 आदिवासी बस्तियों को थ्री फेज बिजली मिल रही

तेलंगाना सरकार आदिवासियों के जीवन स्तर में सुधार लाने के लिए कई उपाय कर रही है. इसी कड़ी में अब राज्य सरकार आंतरिक आदिवासी आवासों को बिजली आपूर्ति करने की पहल की है. सरकार ने 250 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत पर थ्री फेज बिजली की आपूर्ति के लिए वन क्षेत्रों में स्थित 2,156 आदिवासी बस्तियों की पहचान की है. इनमें से लगभग 717 बस्तियों में बिजली आपूर्ति शुरू हो चुकी है और 1202 बस्तियों में काम पूरा हो चुका है.

ऊर्जा विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, बाकी बची 237 बस्तियों में से 52 आदिवासी बस्तियों को बिजली आपूर्ति की अनुमति दे दी गई है और लगभग 150 बस्तियों का डिफरेंशियल ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (Differential Global Positioning System) सर्वेक्षण पूरा हो चुका है.

इन बाकी बचे 237 बस्तियों में से 128 आसिफाबाद जिले में, 28 आदिलाबाद में, 35 निर्मल में, 20 भद्राद्री कोठागुडेम में, 25 मनचेरियल में  और कामारेड्डी जिले में 1 है. बिजली अधिकारियों ने कहा कि साल के अंत तक सभी आदिवासी बस्तियों को बिजली से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है.

अनुसूचित क्षेत्र नौ जिलों में फैले हुए हैं, जिनमें 3,146 जनजातीय ग्राम पंचायतें हैं. एक अधिकारी ने बताया कि लगभग 182 आदिवासी बस्तियां हैं, जो ज्यादातर आसिफाबाद, आदिलाबाद, निर्मल, मनचेरियाल, खम्मम और कोठागुडेम जिलों में स्थित हैं. ये बस्तियां संरक्षित जंगलों के अंदर स्थित हैं और उन्हें विद्युतीकृत करने के लिए वन संरक्षण अधिनियम के तहत प्रस्ताव भेजे गए हैं.

इस बीच, तेलंगाना लिमिटेड की नॉर्दर्न पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी (TSNPDCL) ने सिंगल फेज बिजली की आपूर्ति के लिए लगभग 66 आदिवासी बस्तियों की पहचान की थी और उनमें से 46 बस्तियों में काम पूरा हो चुका है, 1 बस्ती का काम चल रहा है, 12 बस्तियों में DGPS पूरा हो चुका है और 7 बस्तियों के विद्युतीकरण प्रस्तावों को खारिज कर दिया गया है.

एनपीडीसीएल के अधिकारियों के अनुसार जिन 46 बस्तियों में से काम पूरा हो गया है, उनमें से 12 आदिलाबाद जिले में हैं, 15 आसिफाबाद, 5 भूपालपल्ली, 5 कामारेड्डी, 1 खम्मम, 6 कोठागुडेम, 1 मनचेरियल और 1 वारंगल ग्रामीण जिले में है.

रिपोर्ट के मुताबिक राज्य सरकार पहले से ही आदिवासी बस्तियों में सड़क संपर्क और बुनियादी ढांचागत सुविधाओं का प्रावधान कर रही है. सरकार ने 440 आदिवासी गांवों में आंतरिक सड़कों के लिए 60 करोड़ रुपये और 53 आदिवासी आवासों में सौर विद्युतीकरण के लिए 2.39 करोड़ रुपये खर्च किए हैं.

आदिवासी कल्याण विभाग के एक अधिकारी ने कहा, “सरकार का लक्ष्य कनेक्टिविटी को बढ़ावा देना और आदिवासी बस्ती में निहित प्रकृति को बनाए रखते हुए निवासियों के सामने आने वाली बुनियादी समस्याओं को हल करना है.”

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