Site icon Mainbhibharat

तेलंगाना: एक दशक बाद भी आदिवासी विश्वविद्यालय का सपना है अधूरा

तेलंगाना के तत्कालीन आदिलाबाद जिले में एक आदिवासी विश्वविद्यालय स्थापित करने का प्रस्ताव केंद्र सरकार द्वारा लगभग 10 साल पहले किया गया था, लेकिन आज तक छात्रों का यह सपना पूरा नहीं हुआ है.

आदिलाबाद जिले में आदिवासी आबादी काफी ज्यादा है और यहां पड़ोसी राज्यों महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और आंध्र प्रदेश के छात्र भी आसानी से आ सकते हैं.

कांग्रेस के नेतृत्व वाली तत्कालीन यूपीए सरकार ने 2008 में आदिवासी विश्वविद्यालय को मंजूरी दी थी. एकीकृत जनजातीय विकास एजेंसी (आईटीडीए), उत्नूर के अधिकारियों ने एक सर्वेक्षण किया और जनजातीय विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए उत्नूर में 300 एकड़ भूमि की पहचान भी की.

आदिवासी विश्वविद्यालय की स्थापना से राज्य में आदिवासियों को उनकी संस्कृति और परंपराओं को संरक्षित करने में मदद मिलेगी. इसके अलावा उनके स्वास्थ्य, शिक्षा, जमीन से जुड़े मुद्दों, महिलाओं और उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति पर शोध भी किया जा सकता है.

आदिलाबाद में विश्वविद्यालय की स्थापना से जैव विविधता, वन और कोयला खदानों, और पर्यावरण प्रदूषण पर शोध में भी मदद मिलेगी.

लेकिन, पिछले चार सालों से आंदोलन करने के बावजूद ये मांग पूरी न होने से स्थानीय लोग, और खासकर छात्र काफी निराश हैं.

मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने तेलंगाना राज्य के गठन के ठीक बाद 2014 में कोमरम भीम की पुण्यतिथि पर लोगों को संबोधित करते हुए आदिलाबाद में एक आदिवासी विश्वविद्यालय स्थापित करने का वादा किया था.

छात्र संघों ने अब एक संयुक्त कार्रवाई समिति (JAC) का गठन किया है, जो जिले में आदिवासी विश्वविद्यालय स्थापित करने के लिए राज्य और केंद्र सरकारों पर दबाव डालने के लिए आंदोलन कर रही है.

जेएसी ने राज्य और केंद्र सरकारों के आदिलाबाद में आदिवासी विश्वविद्यालय की स्थापना के वादे की उपेक्षा करने की कड़ी निन्दा की है.

Exit mobile version