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तमिलनाडु: पोस्टमास्टर की एक आदिवासी औरत को पेंशन देने के लिए मुश्किल मासिक यात्रा

हर महीने के एक रविवार को 55 साल के एक पोस्टमास्टर कलक्काड़ मुंडनतुराई टाइगर रिज़र्व के अंदर जाने के लिए अपनी पैदल यात्रा शुरू करते हैं. वजह है पांच महीने पहले एक 110 साल की आदिवासी औरत से किया गया वादा.

पापनासम अपर डैम ब्रांच के एस क्रिस्तुराजा को यह विशेष मिशन कलेक्टर वी विष्णु ने दिया है.

कलेक्टर ने जब टाइगर रिज़र्व के अदंर बसी इंजिकुझी आदिवासी बस्ती का दौरा किया, तो वो 110 साल की कुट्टियम्माल से मिले. वी विष्णु ने इस बुज़ुर्ग महिला को 1,000 रुपये की मासिक वृद्धावस्था पेंशन देने का आश्वासन देते हुए अधिकारियों को निर्देश दिया कि वह इंडिया पोस्ट ऑफिस के माध्यम से उन्हें हर महीने पैसे पहुंचाएं.

इस वादे को पूरा करने के लिए क्रिस्तुराजा, जो अकेले ही अपनी डाकघर शाखा को मैनेज करते हैं, पर कुट्टियम्माल को उनकी पेंशन पहुंचाने का ज़िम्मा आ गया. इंजीकुझी आदिवासी बस्ती पापनासम बांध के पास चिन्नमयिलार कानी पहाड़ की चोटी पर स्थित है.

क्रिस्तुराजा ने द न्यू इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि वो बस्ती तक पहुंचने के लिए पहले बांध के किनारे चार किलोमीटर की नाव की सवारी करते हैं, उसके बाद लगभग 10 किलोमीटर की पैदल यात्रा करते हैं.

जब नाव चलाने के लिए बांध में पानी का स्तर बहुत कम हो जाता है, तो वह 25 किलोमीटर लंबा जोखिम भरा पहाड़ी रास्ता तय करते हैं.

इस यात्रा में एक पूरा दिन उन्हें लग जाता है, इसलिए पोस्टमास्टर क्रिस्तुराजा रविवार को ही डिलीवरी करते हैं. वो उस दिन सुबह 7 बजे निकलते हैं, और जंगल में एक छोटी नदी तक पहले ट्रेक करते हैं. इस नदी के किनारे नाश्ता करने के बाद, वो बस्ती के पास के मंदिर पहुँचते हैं, और कुट्टियाम्माल के घर जाने से पहले नदी में नहाते हैं.

कुट्टियम्माल को उनकी पेंशन का पैसा देने के बाद, वो उनके साथ थोड़ी बातचीत करते हैं, और शाम 5 बजे अपनी वापसी की यात्रा शुरु करते हैं.

क्रिस्तुराजा एक अतिरिक्त विभागीय डिलिवरी एजेंट (Extra Departmental Delivery Agent) के रूप में 19 मई, 1997 को सेवा में शामिल हुए थे. वो खुद जंगल में अगस्तियार कानी बस्ती के निवासी हैं.

उनकी तारीफ़ में तिरुनेलवेली डिवीजन के डाकघर के वरिष्ठ अधीक्षक, शिवाजी गणेश कहते हैं कि क्रिस्तुराजा लोगों के घुल-मिलकर गांव तक पहुंचने में सक्षम हैं. दूसरे डाक कर्मचारी ऐसे दूरदराज़ के इलाकों में जाने से कतराते हैं.

जहां तक ​​कुट्टियम्माल का सवाल है, इस मासिक पेंशन और क्रिस्तुराजा से मिलना उन्हें काफ़ी खुशी और सुकून दे रहा है.

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