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वायनाड के सुदूर गाँव से शुरू हुई शिक्षा की नई शुरुआत

केरल के वायनाड जिले में छोटे से गाँव ईरत्तुकुंडु (Erattukundu) में रहने वाले पाँच आदिवासी बच्चों ने पहली बार औपचारिक शिक्षा की शुरुआत की है.

ये बच्चे पानिया (Paniya) समुदाय से हैं, जो जंगल पर निर्भर हैं और आधुनिक सुविधाओं से काफी दूर थे.

इन बच्चों मे दो का नाम हैप्पू (Appu) हैं ,बाकी  कानन (Kannan), मणि (Mani), अम्मू (Ammu) है.

इस पहल के पीछे असल में केरल सरकार का आदिवासी विकास विभाग, जिला प्रशासन (वायनाड), और कुछ सामाजिक कार्यकर्ता मिलकर काम कर रहे हैं.

इनका मकसद दूर-दराज़ के आदिवासी बच्चों को शिक्षा की मुख्यधारा में लाना है..

इन सभी ने मिलकर यह सुनिश्चित किया कि ये बच्चे स्कूल गतिविधियों से जुड़ें.

सबसे पहले, बच्चों को औपचारिक नाम दिए गए क्योंकि उनके परिवारों ने शायद नामकरण की व्यवस्था नहीं की थी.

इसके बाद, Onam त्योहार के अवसर पर उन्हें स्कूल बैग, कपड़े आदि दिए गए. ये छोटे छोटे कदम हैं, लेकिन बच्चों के मन में स्कूल जाने की इच्छा जगाने में बहुत मायने रखते हैं.

तीन बच्चों को मेप्पाडी (Meppadi) के प्री मैट्रिक हॉस्टल में दाखिला मिला है, जबकि अम्मू को सल्तन बाथरी (Sultan Bathery) के एक किंडरगार्टन में भेजा गया है.

आने वाले समय में ये बच्चे Meppadi GLP स्कूल में LKG (लोअर किंडरगार्टन) कक्षा शुरू करेंगे.

प्रशासन ने बताया है कि ये बच्चे अपने नए माहौल में धीरे धीरे ढल रहे हैं.

शुरुआत में डर संकोच होना स्वाभाविक है, लेकिन उनकी प्रतिक्रिया सकारात्मक है.

ज़िला कलेक्टर डॉ. मेघाश्री ने कहा कि यह पहल शिक्षा, पोषण और स्वास्थ्य सेवाओं का एक पूरा कार्यक्रम है.

गाँव के बच्चों को सिर्फ पढ़ाई ही नहीं, बल्कि उनकी समग्र भलाई पर ध्यान दिया जा रहा है.

इसका मकसद है कि आदिवासी बच्चों को अपनी पूरी क्षमता के साथ आगे बढ़ने का अवसर मिले, और उनका जीवन यापन बेहतर हो.

यह कदम खास इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि पानिया समुदाय जैसे आदिवासी समुदाय आज भी कई जगहों पर स्कूल जाने, नामांकन कराने या सरकारी योजनाओं तक पहुँचने में पीछे रह जाते हैं.

ऐसे क्षेत्रों में जहाँ सड़क, परिवहन, नेटवर्क या मूलभूत संसाधन कम हैं, बच्चों को शिक्षित करना एक बड़ी चुनौती होती है.

इस मामले में शामिल लोग यही कोशिश कर रहे हैं कि इन चुनौतियों को धीरे धीरे दूर किया जाए.

समय लेने वाले इस बदलाव ने गाँव के जीवन को थोड़ा बहुत बदलना शुरू कर दिया है.

बच्चों को नए कपड़े, स्कूल बैग मिलने से खुशी है, स्कूल जाना उनके लिए नया अनुभव है, और परिवारों में उम्मीद भी जग रही है कि शिक्षा से भविष्य में स्थिति सुधरेगी.

लेकिन यह भी सच है कि अभी बहुत काम बाकी है — जैसे कि स्कूल पहुँचने के साधन रखना, पढ़ाई संबंधी सामग्री सुनिश्चित करना, और स्वास्थ्य पोषण की नियमित सेवा देना

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