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तेलंगाना में आदिवासी मेले का आज आखिरी दिन, मुख्यमंत्री KCR की गैरमौजूदगी पर बवाल

देश के अलग अलग हिस्सों से हजारों आदिवासी तेलंगाना के मुलुगु जिले के तडवई ब्लॉक के एक छोटे से गांव मेदाराम में चार दिन आदिवासी मेले – समक्का सरलम्मा जातरा – के लिए इकट्ठा हुए हैं.

जातरा को देश और एशिया का सबसे बड़ा आदिवासी मेला माना जाता है. कोविड-19 प्रतिबंधों के बावजूद, देश भर से लगभग 1.5 करोड़ आदिवासी यहां पहुंचे हैं. उत्सव का आज यानि शनिवार को आखिरी दिन है.

मेदारम जातरा का आज आखिरी दिन है

लेकिन जश्न और खुशी के माहौल में एक राजनीतिक विवाद भी पैदा हो गया है. वजह है तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव का मेदारम न आना.

राव, जो शुक्रवार को आदिवासी मेले में भाग लेने के लिए मेदारम पहुंचने वाले थे, ने आखिरी मौके पर अपना कार्यक्रम रद्द कर दिया.

कई विधायक, पंचायत राज मंत्री एराबेली दयाकर राव और आदिवासी कल्याण मंत्री सत्यवती राठौड़ समेत दूसरे मंत्री और अधिकारी शाम 4 बजे तक मुख्यमंत्री की अगवानी के लिए विशेष रूप से बनाए गए हेलीपैड पर इंतजार कर रहे थे, जब उन्हें कार्यक्रम के रद्द होने की खबर मिली.

मुख्यमंत्री केसीआर ने मेदारम में शिरकत नहीं की है

तेलंगाना बीजेपी अध्यक्ष बांदी संजय, जो सुबह आदिवासी मेले में पहुंचे थे, ने मुख्यमंत्री को कड़ी आलोचना करते हुए कहा, “केसीआर ने मेले में न आकर पूरे आदिवासी समाज और तेलंगाना की संस्कृति का अपमान किया है. यह उनका अहंकार दिखाता है. हम इस अपमान के खिलाफ तब तक लड़ेंगे, जब तक वो गद्दी नहीं छोड़ देते.”

टीआरएस के किसी भी नेता ने इस पर टिप्पणी नहीं की है कि मुख्यमंत्री ने आखिरी मौके पर यह फैसला क्यों लिया.

मेले में अब तक कई हाई प्रोफाइल लोग शिरकत कर चुके हैं. इनमें केंद्रीय पर्यटन मंत्री जी किशन रेड्डी समेत कई वरिष्ठ बीजेपी नेता शामिल हैं.

इस आदिवासी मेले में तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश से आदिवासी और गैर आदिवासी भक्त आते हैं.

आदिवासियों का मानना ​​​​है कि सम्मक्का और सरलम्मा ने काकतीय वंश के शक्तिशाली राजाओं से लड़ते हुए बलिदान दिया था. लोककथा के अनुसार राजाओं ने रॉयल्टी की मांग करते हुए उनके छोटे आदिवासी गांव पर हमला किया था और उनके जीवन और संस्कृति को खत्म करने की कोशिश की थी.

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