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आदिलाबाद: 10 लाख की जगह 1 लाख का लोन दे कर आदिवासियों को बहलाया जा रहा है

तेलंगाना के पुराने आदिलाबाद जिले के आदिवासियों को लगता है कि एकीकृत जनजातीय विकास एजेंसी की उत्नूर शाखा के अधिकारियों द्वारा उन्हें सिर्फ 1 लाख रुपये का रियायती लोन देकर निराश किया जा रहा है. हालांकि स्व-रोजगार योजना के तहत प्रस्तावित इकाइयों की लागत 10 लाख रुपये रखी गई थी. 

आदिवासियों को योजना के तहत अपनी इकाइयां शुरू करने में सक्षम बनाने के लिए आईटीडीए लोन दे रहा है. ये लोन योग्य व्यक्तियों को तेलंगाना अनुसूचित जनजाति सहकारी वित्त निगम लिमिटेड (TRICOR) के द्वारा दिए जा रहे हैं.

आदिवासियों का कहना है कि आईटीडीए ने अपनी अधिसूचना में उल्लेख किया था कि ज़ेरॉक्स मशीन, मिनी ट्रॉली, ट्रैक्टर, बैलगाड़ी और मवेशियों की खरीद के लिए लोन लिया जा सकता है, साथ ही छोटी डेयरियां चलाने के लिए भी. अब अधिकारी आदिवासियों से ऐसी इकाई का चयन करने को कह रहे हैं जिसकी लागत एक लाख रुपये से कम होगी.

आदिवासियों का कहना है, “हम पहले ही ट्रैक्टर, मिनी ट्रॉली या जेरोक्स मशीनों की खरीद के लिए ऋण के लिए आवेदन कर चुके हैं, जिनमें से हर एक की कीमत 1 लाख रुपये से अधिक है.”

इससे पहले ITDA आदिवासियों को 12 लाख रुपये तक का सब्सिडी वाला लोन मंजूर करता था. लाभार्थियों को इस इकाई लागत के लिए अपने देय हिस्से का भुगतान करना होगा और शेष राशि उन्हें यूनिट की पूरी लागत को पूरा करने के लिए बैंकों के माध्यम से स्वीकृत की जाएगी.

उनका कहना है कि अब मुश्किल ये है कि एक मिनी ट्रॉली की कीमत भी 5 लाख से 10 लाख रुपये के बीच है. वे पूछते हैं कि 1 लाख रुपये के साथ हम खरीद के लिए बाकी राशि कैसे प्राप्त कर सकते हैं.

आईटीडीए उत्नूर के परियोजना अधिकारी भावेश मिश्रा ने कहा कि उन्हें स्वरोजगार के लिए लोन की मांग के लिए 16,000 आवेदन प्राप्त हुए हैं और वे इस साल 5,600 आदिवासियों को ऋण देंगे. 

हालांकि, आदिवासी आवेदकों का कहना है कि हर एक ग्राम पंचायत के 60-120 आवेदकों में से सिर्फ 5 से 8 लाभार्थियों का चयन लॉटरी के माध्यम से किया जा रहा है.

चयनित लाभार्थी जिन्होंने डेयरी फार्म या तेल इंजन इकाई के लिए आवेदन किया था और ऋण के रूप में 1 लाख रुपये प्राप्त किए थे वे खुश हैं. लेकिन जिन्होंने ट्रैक्टर, मिनी-ट्रॉली, जेरोक्स-मशीन या दूसरी चीजों के लिए आवेदन किया है वे सोच रहे हैं कि वे 1 लाख रु. का क्या कर सकते हैं.

भीमपुर मंडल के एक लाभार्थी ने कहा कि उसने एक डेयरी इकाई के लिए ऋण के लिए आवेदन किया था. लेकिन 1 लाख रुपये से वो एक डेयरी फार्म स्थापित करने के लिए मुश्किल से सात बकरियां खरीद सकता था क्योंकि हाल के वर्षों में भेड़ और बकरियों की लागत बढ़ गई है.

आदिवासियों का आरोप है कि आईटीडीए के अधिकारी ऐसे लाभार्थियों को अधिक सब्सिडी वाले लोन मंजूर करते हैं जो राजनीतिक या अन्य तरीकों से अपना प्रभाव डाल सकते हैं और उनके नाम सूचियों में नहीं दिखाए जाएंगे. 

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