Mainbhibharat

विशाखापट्टनम के एजेंसी इलाक़े के आदिवासी बच्चों के लिए बन रही है लाइब्रेरी

आंध्रप्रदेश केBविशाखापट्टनम ज़िले के देवरपल्ले और आसपास के गांवों के 30 आदिवासी युवाओं का एक समूह इलाक़े के बच्चों के लिए एक लाइब्रेरी का निर्माण कर रहा है. कोविड-19 महामारी के चलते एजेंसी इलाक़े के बच्चों की शिक्षा पर बुरा असर पड़ा था.

देवरपल्ले में एक प्राइमरी स्कूल ज़रूर है, लेकिन महामारी की वजह से यह बंद हो गया.

युवा समूह के सदस्य वंथला भास्कर ने एक अखबार को बताया कि अखबार पढ़ने तक के लिए लोगों को कई किलोमीटर की यात्रा करनी पड़ती है. इलाक़े की मुख्य सड़क गांव से 6 किमी दूर है.

देवरपल्ले और कई दूसरे गांवों में फोन करने के लिए सिग्नल तलाशते हुए लोगों को 2 से 3 किमी पैदल चलना पड़ता है. इन हालात में बच्चे ऑनलाइन क्लास अटेंड नहीं कर सकते. इसीलिए इन युवाओं ने देवरपल्ले में एक लाइब्रेरी स्थापित करने का फ़ैसला किया है.

लाइब्रेरी की स्थापना से देवरपल्ले और आसपास के गांवों के लगभग 100 बच्चों को फ़ायदा होगा. महामारी और उसके बाद के लॉकडाउन ने सभी स्कूलों को ऑनलाइन कर दिया है. लेकिन कई ग्रामीण और एजेंसी इलाक़े डिजिटल डिवाइड की वजह से पीछे छूट रहे हैं.

इसी अंतर को पाटने के लिए ही समूह ने लाइब्रेरी बनाने की पहल की है. सामाजिक कार्यकर्ता अशोक दानवत ने लाइब्रेरी के लिए फंडिंग के तौर पर दो लाख रुपये जुटाने में समूह की मदद की है.

2-3 महीने में बनकर तैयार होगा भवन

उम्मीद है कि लाइब्रेरी दो से तीन महीनों में बनकर तैयार हो जाएगी. कई शिक्षाविदों ने लाइब्रेरी को किताबें दान करने की इच्छा ज़ाहिर की है. इसमें अलग-अलग विषयों पर वर्कबुक और आदिवासी संस्कृति पर किताबें होंगी.

लाइब्रेरी सिर्फ युवाओं और बच्चों के लिए नहीं, बल्कि ऐसे सभी लोगों के लिए हे जो सीखना चाहते हैं. आदिवासी समूह को उम्मीद है कि यह लाइब्रेरी प्रतिस्पर्धा के बिना छात्रों के लिए एक सुरक्षित सीखने का स्थान होगा.

समूह अब दूसरे गांवों में खाली सामुदायिक हॉल में लाइब्रेरी स्थापित करने की भी योजना बना रहा है.

(तस्वीर प्रतीकात्मक है)

Exit mobile version