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सरना धर्म कोड: केन्द्र पर दबाव के लिए आदिवासी निकालेंगे रथ यात्रा

झारखंड में आदिवासियों के कई संगठनों नें सरना धर्म को 2021 की जनगणना में शामिल करने की मांग करते हुए आंदोलन तेज़ करेंगे. इस सिलसिले में आदिवासी संगठनों ने यह तय किया है कि वो कम से कम पांच राज्यों में इस मांग के साथ रथ यात्रा निकालेंगे. जिन 5 राज्यों में रथ यात्रा निकालने का फ़ैसला किया गया है उनमें झारखंड के अलावा पश्चिम बंगाल, ओडिशा, बिहार और असम शामिल हैं.

आदिवासी सेगेंल अभियान के अध्यक्ष सलखान मुर्मु के अनुसार सरना धर्म कोड की मांग को केंद्र सरकार नज़रअंदाज़ कर रही है. इस वजह से आदिवासी संगठनों ने आंदोलन तेज़ करने का फ़ैसला किया है.

आदिवासी संगठन यह अभियान दिसंबर के आख़री सप्ताह में चलाएंगे. इसके बाद ये संगठन जनवरी महीने में रेल और रास्ता रोको अभियान की योजना भी बना रहे हैं. आदिवासी संगठनों का कहना है कि आदिवासियों के लिए अलग धर्म कोड की मांग पिछले 16 सालों से चल रही है. लेकिन अब आदिवासी संगठनों ने फ़ैसला कर लिया है कि इस मांग को मनवाने के लिए केन्द्र सरकार पर लगातार दबाव बनाया जाएगा.

आदिवासी संगठनों का कहना है कि अगर केन्द्र सरकार ने सरना कोड को संसद से पास नहीं किया तो 2021 में होने वाली जनगणना का विरोध किया जाएगा.

झराखंड के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने 11 नवंबर को विधानसभा का एक विशेष सत्र बुला कर सरना धर्म कोड के समर्थन में एक प्रस्ताव पास कराया था. यह प्रस्ताव सदन में सर्वसम्मति से पास हुआ था.

सरना धर्म कोड या आदिवासियों के लिए अलग धर्म की मांग करने वाले संगठनों का कहना है कि भारत की जनगणना में सभी धार्मिक समुदायों की पहचान दर्ज की जाती है. लेकिन आदिवासियों के लिए यह प्रवाधान नहीं है. इन संगठनों का कहना है कि जिन आदिवासियों ने धर्म परिवर्तन कर लिया है उन्हे  तो धार्मिक पहचान मिल जाती है. लेकिन जो आदिवासी अभी भी अपनी परंपराओं और धार्मिक मान्यताओं के साथ रह रहे हैं, उन पर जबरन हिंदू धर्म की पहचान थोप दी जाती है.

केन्द्र सरकार ने अभी तक सरना धर्म कोड के संबंध में कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. लेकिन यह माना जाता है कि आरएसएस और बीजेपी आदिवासियों को अलग धार्मिक पहचान देने के पक्ष में नहीं है. इन संगठनों का मानना है कि भारत के सभी आदिवासी सनातन धर्म यानि हिंदू धर्म का ही हिस्सा हैं.

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