Site icon Mainbhibharat

खाना न मिलने पर उत्तरी बंगाल एस्टेट में आदिवासी चाय श्रमिक की भूख से मौत

चाय बागानों में काम करने वाले कार्यकर्ताओं के मुताबिक, उत्तरी बंगाल के एक चाय बागान में 58 वर्षीय एक आदिवासी श्रमिक की कथित तौर पर सरकार से भोजन और जिस चाय बागान में वह काम करता था, वहां से भत्ता न मिलने और लंबे समय तक भूखे रहने से मृत्यु हो गई.

मृतक की पहचान अलीपुरद्वार जिले के कालचीनी ब्लॉक के धनी ओरांव के रूप में की गई है. वह मधु चाय बागान में काम करता था. इसी साल 2 फरवरी को उनका निधन हो गया.

पश्चिम बंग चा मजूर समिति या पीबीसीएमएस (चाय बागान श्रमिकों का एक स्वतंत्र व्यापार संघ) के सदस्यों, भोजन और काम का अधिकार अभियान के प्रतिनिधियों और दो अधिवक्ताओं को शामिल कर बनी एक फैक्ट फाइंडिंग टीम कारणों को समझने के लिए 3 फरवरी को श्रमिक के घर पहुंची थी.

रिपोर्ट में कहा गया है कि ओरांव की पत्नी का बॉडी मास इंडेक्स (BMI) लगभग 12 किलोग्राम/एम2 था, जबकि 4 फीट 10 इंच लंबे व्यक्ति के लिए वजन केवल 26 किलोग्राम था.

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मानदंडों के अनुसार, बीएमआई <16.0 “खराब स्वास्थ्य, खराब शारीरिक प्रदर्शन, सुस्ती और यहां तक ​​कि मृत्यु” के लिए काफी बढ़े हुए जोखिम से जुड़ा है.

उनके पड़ोसियों ने टीम को बताया कि ओरांव का वजन भी काफी कम था.

पीबीसीएमएस के सचिव बीरबल ओरांव ने एक मीडिया बयान में दावा किया, “धनी ओरांव की पत्नी असरानी का स्वास्थ्य भी इस बात का संकेत है कि दंपति बहुत भूख़ से पीड़ित थे.”

आगे की पूछताछ से पता चला कि दंपति के पास हर महीने सिर्फ तीन से चार दिनों के लिए राशन उपलब्ध था.

फैक्ट फाइंडिंग टीम ने खुलासा किया कि चाय बागान सात साल से बंद था, जिसे दिसंबर 2021 में फिर से खोला गया. मैनेजमेंट ने बंद की पूरी अवधि के दौरान श्रमिकों को स्वास्थ्य, आवास, समय पर वेतन के साथ-साथ ग्रेच्युटी भी उपलब्ध नहीं करायी. जबकि वे वेतन भुगतान अधिनियम, 1936 के तहत इन लाभों के हकदार थे.

टीम ने पाया कि चाय बागान के कर्मचारियों को पिछले दो माह में सिर्फ एक पखवाड़े का वेतन मिला है. मधु टी गार्डन में कर्मचारियों की कुल संख्या 951 है, जिनमें से 300-400 कर्मचारी कार्यरत हैं.

जांच में आगे पाया गया कि धनी और असरानी दो से तीन साल तक सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) से भोजन नहीं ले सके. ऐसा इसलिए था क्योंकि उनके आधार कार्ड राशन कार्ड से लिंक नहीं थे.

टीम ने बताया कि भोजन के लिए अन्य ग्रामीणों पर निर्भर, अनियमित मजदूरी भुगतान के कारण उनकी गंभीर वित्तीय स्थिति के कारण दंपति अक्सर भूखे रह जाते थे या बासी भोजन खाते थे.

समय के साथ ओरांव का स्वास्थ्य बिगड़ता गया, जिससे दौरे पड़ने लगे और आखिरकार 2 फरवरी को उनकी मृत्यु हो गई. नजदीकी स्वास्थ्य सुविधा 20 किलोमीटर दूर था और इसलिए ग्रामीण बीमार चाय श्रमिक को वहां नहीं ले जा सके.

घटना के बाद पीबीसीएमएस ने अब मामले की एक स्वतंत्र टीम से जांच कराने और चाय बागान के संबंधित अधिकारियों और प्रबंधन के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है.  

उन्होंने असरानी को सरकारी कल्याणकारी योजनाओं के तहत सरकारी लाभ और तत्काल चिकित्सा सहायता की भी मांग की है.

इसके अलावा पीबीसीएमएस ने जिले में पीडीएस की स्थिति का तत्काल आकलन करने और चाय बागानों में श्रमिकों की भूख के स्तर और स्वास्थ्य स्थितियों की पहचान करने की भी मांग की है.

Exit mobile version