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महाराष्ट्र: आदिवासी परिवार को 20 साल बाद बंधुआ मजदूरी से मिला छुटकारा

महाराष्ट्र ( Maharashtra ) के नायगांव में एक ईंट भट्टे पर 20 साल से अधिक समय से बंधुआ मजदूर (bond labour system) के रूप में काम कर रहे एक आदिवासी परिवार को जिला प्रशासन ने बचाया है.

वारली समुदाय से आने वाले आदिवासी गणेश चौधरी (35) ने अपनी शिकायत में कहा है कि वह देवदल गांव में ईंट भट्टे पर 20 सालों से भी आधिक समय से काम कर रहे थे.

इस ईट भट्टे को माधुकर पाटिल द्वारा चलाया जाता था. गणेश के पिता पाटिल के घर में काम किया करते थे.

गणेश अपनी पत्नी और चार बच्चों के साथ भट्टे के पास ही रहता था. गणेश ने ये भी आरोप लगया है की पिछले साल पाटिल ने उनके बेटे रोहित (उम्र 18 साल) को घर के काम और पशुओं की देखभाल करने के लिए मजबूर किया.

इस काम के लिए रोहित को एक साल पैसे तक नहीं दिए गए. गणेश ने बताया की उन्हें हर दिन सुबह 7 बजे से रात 8 बजे तक काम करने के लिए महज़ 10 रुपये से 50 रुपये तक दिए जाते थे.

बाद में पाटिल ने किराने के सामान के लिए हर हफ्ते मंगलवार को 800 रुपये का भुगतान करना शुरू कर दिया.

लेकिन जब बाद में गणेश और उसके परिवार ने विरोध किया तो पाटिल ने 1,000 रुपये देना शुरू किया.

लेकिन गुस्से में आकर पिछले महीने पाटिल और उनके बेटे अनिल और अजय ने गणेश की झोपड़ी को तोड़ दिया और उनकी पिटाई की और उसे भट्टे पर लौटने के लिए मजबूर किया.

पाटिल और उसके परिवार का कहना है की गणेश के पूर्वजों ने कर्ज लिया था जिसे उसको चुकाना होगा.

महाराष्ट्र में बंधुआ मज़दूरी (Labour bond problem of tribals in Maharashtra) की ऐसी कई खबरे आदिवासी इलाकों में देखने को मिलती रहती है. ऐसी ही एक और घटना राज्य के पालघर ज़िले में हुई है.

जहां एक आदिवासी को बंधुआ बनाने और उसकी पिटाई करने के आरोप में चार लोगों के खिलाफ शिकायत दर्ज की गई है.

एक अधिकारी ने बताया कि चीनी फैक्ट्री के सुपरवाइजर समेत चार लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है, लेकिन अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है.

पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक 40 वर्षीय कृष्णा नागदे (पीड़ित) सतारा में चीनी मील में मजदूर के रूप में काम करता था.

उन्होंने कहा कि जब श्रमिकों ने 10 अक्टूबर, 2023 और 8 जनवरी के बीच विभिन्न चीनी मिलों में काम किया तो उन्हें कथित तौर पर अतिरिक्त भुगतान नहीं किया गया और उनमें से कुछ भाग गए.

आरोपियों को ये संदहे था पीड़ित आदिवासी वयक्ति नागदे ने ही श्रमिकों को भागने के लिए उकसाया है. जिसके बाद इन आरोपियो ने पीड़ित को बंधक बना लिया और उसकी पिटाई भी की थी.

पुलिस ने इस मामले में भारतीय दंड संहिता, बंधुआ मजदूरी प्रणाली (उन्मूलन) अधिनियम 1976 और अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत केस दर्ज किया है.

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