Site icon Mainbhibharat

आदिवासी बस्ती को जोड़ने वाली सड़क की 97 साल बाद सुध ली गई

तमिलनाडु (Tamil Nadu) के वेल्लोर ज़िले ( Vellore district) में नागनाथी और तोनाइयाकोलाइ (Naganathi and Thonaiyankollai tribal hamlets) के बीच सड़क का निर्माण किया जाएगा.

ये सड़क 20 फुट चौड़ी होगी. जिसमें 10 फुट चौड़ा कैरिजवे भी बनाया जाएगा. इस पूरी सड़क को बनाने के लिए प्रशासन ने 11.50 करोड़ रूपये का बजट तय किया है.

डीआरडीए (DRDA) ने बताया की 1925 में यहां ब्रिटिश सरकार द्वारा एक मार्ग का निर्माण किया गया था.

ये मार्ग अंग्रेजों को घने जंगलों में निगरानी रखने में मदद करता था. तब से इस मार्ग को आदिवासी परिवारों द्वारा आने जाने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है.

इन बस्तियों में स्थित तुतिकाडु ग्राम पंचायत में 6 छोटे कस्बे है. जिनमें लगभग 650 लोग रहते है. यहां रहने वाले आदिवासी ज्यादातर मक्का, मूंगफली, केला, गन्ना और बाजरा की खेती कर अपना जीवन व्यापन करते हैं.

इनमें से एक आदिवासी निवासी के. मुतम्मल ने बताया,“ हम बीमार और गर्भवती महिलाओं को कपड़े में लपेटकर 20 किलोमीटर दूर सरकारी अस्पताल ले जाते है.

हम कई सालों से ऐसे ही मरीजों को कपड़े मे लेपटकर ले जा रहे हैं. सड़क बनने से हमें थोड़ी बहुत राहत मिलेगी.

इसके अलावा ये भी पता चला है की इन कस्बों के आस पास आदिवासियों के लिए कोई बस की सुविधा भी मौजूद नहीं है.

सिर्फ इतना ही नहीं हर रोज गाँव वासियों को बस लेने के लिए नागानाती इलाके में जाना पड़ता है. जहां से उन्हें फिर अपने कस्बे में आने के लिए 6 किलोमीटर का पैदल रास्ता तय करना पड़ता है.

स्कूल और पंचायत दफ्तर भी यहां से 2.5 किलोमीटर की दूरी में स्थित है. इन कस्बों में रहने वाले आदिवासियों को प्राथमिक स्वास्थ केंद्र, सरकारी हाई स्कूल, दुकान, बैंको, एटीएम और सरकारी कार्यालय की सुविधा का लुप्त उठाने के लिए वेल्लोर जाना पड़ता है.

जो इन कस्बों से 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. सड़क निर्माण के बारे में मिली जानकारी के मुताबिक सड़क का एक बड़ा हिस्सा नागनाथी नदी के पार स्थित है.

इसलिए पानी के ठहराव को रोकने के लिए चार छोटे पुल और आठ पुलिया बनाए जाएंगे. इसके अलावा इस रास्तें में अधिक ढलान होने के कारण सड़क के दो स्थानों पर साइडवॉल भी बनाया जाएगा.

इसी सिलसिले में इस पूरे कार्य को होने में नौ महीनें तक का समय लग सकता है. अक्सर आदिवासी इलाकों में ये देखा गया है की सड़क या कोई पक्का रास्ता ना होने के कारण आदिवासी इलाके मुख्यधारा से दूर हो जाते है. जिसके कारण इन तक मूलभूत सुविधाएं भी नहीं पहुंच पाती.

सड़क ना बनने से मुख्य समस्या ये होती है की आदिवासी इलाकों तक एम्बुलेंस नहीं पहुंच पाती.जिसके कारण ये सभी लोग बांस और कंपड़े से डोली बनाकर मरीजों को एम्बुलेंस तक ले जाते हैं.

लेकिन इस काम में कभी कभी इतना समय लग जाता है की मरीज़ की रास्ते में ही मौत हो जाती है.

Exit mobile version