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26 साल बाद सड़क की मरम्मत हुई, तो आदिवासी गांव पहुंची बस, सामुदायिक पुलिसिंग के तहत हुआ काम

26 सालों से तेलंगाना के आसिफ़ाबाद ज़िले की मांगी ग्राम पंचायत की 30 बस्तियों के आदिवासी निवासी अपने गांवों तक आने वाले सार्वजनिक परिवहन के इंतजार में थे. उनका सपना पूरा करने इलाके की पुलिस सामने आई, जिन्होंने स्थानीय ट्रैक्टर मालिकों की मदद से मांगी और माणिक्यपुर के बीच 3 किलोमीटर लंबी सड़क की मरम्मत की.

इस दुर्गम पहाड़ी इलाके के लोगों ने भारी बारिश और माओवादियोंको वजह से 1995 में पब्लिक ट्रांसपोर्ट खो दिया. 1995 में माओवादियों ने इस इलाके को अपना गढ़ बना लिया था, और उस साल की भारी बारिश में यहां को सड़क चट्टानों के गिरने से टूट गई थी.

इसका नतीजा यह हुआ कि गांववालों को या तो लगभग 25 किलोमीटर की यात्रा करनी पड़ती थी, या फिर वो निजी बस चलाने वालों पर निर्भर थे. बाहरी दुनिया तक पहुंचना उसके लिए कई सालों से संघर्ष बना हुआ था.

अब बस सेवा शुरू होने से उनके लिए अपनी रोज की जरूरतों के लिए या फिर मेडिकल इमरजेंसी में जिला मुख्यालय तक पहुंचना आसान हो गया है. इसका श्रेय तिरयानी सब-इंस्पेक्टर पुष्पला रामा राव को जाता है.

रामा राव, जो इलाके में सामुदायिक आउटरीच कार्यक्रमों के आयोजन के लिए जाने जाते हैं, ने हाल ही में मांगी और आसपास की बस्तियों में रहने वाले आदिवासियों की मुश्किलों को दूर करने की ठानी. उन्होंने 15 ट्रैक्टरों और एक जेसीबी मशीन के मालिकों से सड़क को बहाल करने में मदद मांगी. पुलिस, ट्रैक्टर मालिकों और स्थानीय लोगों ने मिलकर तीन दिनों में सड़क की मरम्मत कर दी.

मरम्मत के बाद तेलंगाना सड़क परिवहन निगम के अधिकारियों से संपर्क किया गया, ताकि इस दुर्गम आदिवासी इलाके तक बस सेवा को फिर से शुरू की जा सके.निगम ने इस हफ्ते की शुरुआत में तिरयानी मंडल केंद्र से मांगी तक बस सेवा का परीक्षण किया और सड़क को ठीक पाकर इसे चलाने के लिए सहमत हो गया.

गुरुवार को एसपी वाईवीएस सुधींद्र ने औपचारिक रूप से सेवा को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया. इस बस सेवा से न सिर्फ मांगी के आदिवासी, बल्कि दूरदराज के माणिक्यपुर, गुंडाला, कोवटागांव, मुल्कलामांडा, ग्राम पंचायतों के निवासी भी खुश हैं.

सामुदायिक पुलिसिंग के हिस्से के रूप में तिरयानी पुलिस द्वारा किया गया ये काम प्रशंसनीय है.

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