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केरल: SSLC में संपूर्ण ए+ पाने वाली पहली आदिवासी छात्रा बड़े होकर बनना चाहती हैं डॉक्टर, लेकिन फ़िलहाल है उन्हें नेटवर्क की तलाश

केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम की कुट्टीचाल ग्राम पंचायत के अगस्त्यवनम जंगलों की आदिवासी छात्रा उत्तरा सुरेश आजकल सातवें आसमान पर हैं. उत्तरा सुरेश राज्य की SSLC परीक्षाओं में पूर्ण A+ प्राप्त करने वाली पहली आदिवासी छात्र हैं.

श्री नारायण हायर सेकेंडरी स्कूल, उझमलक्कल की छात्रा उत्तरा खुश हैं कि वलीपारा बस्ती में रहते हुए ऑनलाइन क्लास अटेंड करने में आई चुनौतियों के बावजूद, उन्हें उनकी मेहनत का फल मिला.

उत्तरा अपने माता-पिता सुरेश मित्रा और बिंदू (एक टीचर) और बहन दक्षिणा के साथ रहती हैं, और उसे खुशी है कि वलीपारा के ही एक और छात्र विष्णु सुनील ने परीक्षा में पांच ए+ ग्रेड हासिल किए.

आदिवासी बस्तियों और राज्य के दूरदराज़ के इलाकों में रहने वाले कई छात्रों की तरह, पिछला शैक्षणिक वर्ष उत्तरा के लिए भी काफ़ी कठिन रहा.

वैसे तो टीवी पर विक्टर्स चैनल के ज़रिए बच्चों के लिए लेसन चल रहे थे, लेकिन गूगल मीट पर ऑनलाइन क्लास में हिस्सा लेने के लिए उत्तरा को अपने घर से क़रीब 500 मीटर दूर एक छोटी सी पहाड़ी पर चढ़ना पड़ता था.

इस पहाड़ी पर भी कनेक्शन हमेशा स्थिर नहीं रहता था. ऐसे में उत्तरा थोड़ा और ट्रेक करके दूसरी पहाड़ी पर जाती थी. उसका कहना है कि कनेक्शन के लिए एक पहाड़ी से दूसरी तक ट्रेकिंग करना दिन के समय तो संभव है, लेकिन शाम में नहीं.

उत्तरा के परिवार के पास अब एक टीवी ज़रूर है, लेकिन स्कूल की ऑनलाइन क्लास शुरु होने के बाद वो क्या करेगी उसे नहीं पता. इस आदिवासी बस्ती तक बिजली की आपूर्ति एक बड़ी समस्या है, और नेटवर्क ढूंढते-ढूंढते उसे पहाड़ी तक पहुंचने के लिए एक छोटी नदी को पार करना पड़ता है.

लेकिन बारिश के मौसम में जब नदी उफान पर होती है, तब उसे पार करना नामुमकिन है. उत्तरा के पिता, सुरेश मित्रा एक आदिवासी कार्यकर्ता हैं, और वो कहते हैं कि इलाक़े में टावर की स्थापना करने के लिए एक निरीक्षण किया गया था, लेकिन उन्हें नहीं लगता कि इस प्रयास का कुछ होगा.

केरल के मुख्यमंत्री पिणराई विजयन ने हर आदिवासी छात्र के लिए ऑनलाइन शिक्षा का वादा किया है. उन्होंने यह भी कहा है कि यह सुनिश्चित करने के लिए क़दम उठाए जा रहे हैं कि हर इलाक़े में इंटरनेट कनेक्टिविटी हो.

मुख्यमंत्री की बात सुनकर तो कम से कम यही लगता है कि नेटवर्क टावर यहां जल्द ही आ जाएगा, और अगस्त्यवनम के दूसरे होनहार छात्रों को उत्तरा की तरह मुश्किलों का सामना नहीं करना पड़ेगा.

ऐसी कठिनाइयों की वजह से ही आदिवासी इलाक़ों में हायर सेकेंडरी स्तर के बाद स्कूल ड्रॉपआउट रेट बढ़ जाता है. अगर नेटवर्क का मुद्दा सुलझ जाए, और इंटिग्रेटेड ट्राइबल वेलफ़ेयर प्रोग्राम के तहत उत्तरा को एक लैपटॉप मिल जाए, तो वो अपनी पढ़ाई पूरी कर पाएगी.

उत्तरा भविष्य में डॉक्टर बनना चाहती हैं, हालांकि फिलहाल वह अपनी सफलता के हर पल का आनंद ले रही हैं.

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