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कॉफ़ी के बाद अब अरकू घाटी से एक और निर्यात, आदिवासी किसान अब डेनमार्क भेजेंगे काली मिर्च

अरकू घाटी के आदिवासी किसानों द्वारा उगाई जाने वाली काली मिर्च अब डेनमार्क के बाज़ारों में मिलेगी. डेनमार्क अरकू घाटी की काली मिर्च आयात करने वाला पहला देश है.

आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम के एजेंसी क्षेत्रों के लगभग 98,000 एकड़ क्षेत्र में फ़िलहाल काली मिर्च उगाई जाती है. काली मिर्च मुख्य रूप से अरकू, अनंतगिरी, चिंतपल्ली और पडरु के कॉफी बागानों में इंटरक्रॉप के रूप में उगाई जाती है.

आदिवासियों द्वारा उगाई जाने वाली अरकू कॉफ़ी पहले से ही काफ़ी प्रतिष्ठित है, और यूरोप के और दूसरे कई देशों को निर्यात की जाती है.

यहां के आदिवासी इलाक़ों के काली मिर्च के बागानों से औसतन 3,000 से 4,000 टन काली मिर्च का उत्पादन होता है. आमतौर पर प्रति एकड़ कॉफ़ी बागान में 100 काली मिर्च के पौधे वितरित किए जाते हैं.

अरकू के कॉफ़ी बागानों में काली मिर्च भी उगाई जाती है

काली मिर्च की बेल छाया देने वाले वृक्षों जैसे सिल्वर ओक और कटहल पर उगाई जाती है. अरकू घाटी के लगभग 1.58 लाख एकड़ में कॉफी उगाई जाती है, और साथ में काली मिर्च.

नांदी फाउंडेशन के सीईओ मनोज कुमार ने हाल ही में डेनमार्क से 23 मैट्रिक टन काली मिर्च के ऑर्डर के बारे में ट्वीट किया था.

इंटीग्रेटेड ट्राइबल डेवलपमेंट एजेंसी (ITDA) ने आदिवासी किसानों को कॉफी प्रोसेसिंग और उसके लिए बेहतर बाज़ार बनाने के इरादे से चिंतपल्ली में एक पायलट परियोजना शुरू की है. इसके तहत लगभग 1.5 करोड़ रुपये की लागत से बुनियादी ढांचे की स्थापना की गई है, और लगभग 10,000 किसानों के छोटे समूह बनाए गए हैं.

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