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वर्षों के इंतज़ार के बाद तमिलनाडु के इस आदिवासी गाँव को जल्द मिलेगी बिजली

तमिलनाडु के एरोड जिले की चेनमपट्टी रेंज में स्थित कतिरीमलाई गाँव, वर्षों से जरूरी सुविधाओं की कमी में जी रहा था.

यह गाँव सोलगा समुदाय के लगभग 75  से 100 परिवारों का घर है.

समुद्र तल से करीब 3,600 फीट की ऊंचाई पर बसे इस गाँव तक पहुँचना भी आसान नहीं है.

गाँव तक जाने के लिए घने जंगलों से होते हुए चार घंटे पैदल चलना पड़ता है.

इतनी कठिनाई और सरकारी ध्यान की कमी के कारण यह इलाका अब तक बिजली जैसी जरूरी सुविधा से भी दूर रहा था. 

लेकिन अब इस गाँव के अंधेरे को दूर करने और इसे आगे बढ़ाने की एक ठोस कोशिश शुरू की गई है.

24 मई 2025 को यह जानकारी दी गई थी कि तमिलनाडु सरकार की तरफ से कतिरीमलाई गाँव में बिजली पहुंचाने के लिए एक बड़ी योजना बनाई गई है.

TANGEDCO यानी तमिलनाडु जनरेशन एंड डिस्ट्रीब्यूशन कॉर्पोरेशन को यह काम सौंपा गया है.

उस समय बताया गया था कि बिजली लाने का काम जल्दी ही शुरू किया जाएगा और इसकी अनुमानित लागत करीब 3.25 करोड़ रुपये होगी.

योजना के तहत लगभग 8 किलोमीटर तक बिजली की लाइन बिछाई जाएगी.

इससे हर घर, स्कूल, पानी के बोरवेल और सरकारी इमारतों तक बिजली पहुँचेगी. इसके साथ ही गाँव की गलियों में रोशनी के लिए स्ट्रीट लाइट भी लगाई जाएंगी.

लोगों के कागजों और पहचान से जुड़े कामों के लिए सरकारी शिविर लगाने की भी बात कही गई थी.

गाँव के लोग, जो अब तक सोलर पैनल और दीयों के सहारे अपना जीवन बिता रहे थे, इस खबर से बहुत खुश थे.

उन्होंने इसे अपने जीवन में एक नई शुरुआत माना, जो कई बदलाव लाएगी.

हालांकि, इससे पहले भी कई बार इस तरह की घोषणाएं हो चुकी थीं जो सिर्फ कागजों तक सीमित रह गईं.

लेकिन इस बार उन्हें उम्मीद है कि काम जरूर पूरा होगा क्योंकि अधिकारियों ने तैयारी और गंभीरता से काम शुरू किया है.

7 अक्टूबर 2025 को इस योजना की शुरुआत हो गई  है.

तमिलनाडु सरकार के मंत्री एस. मुथुसामी गाँव में खुद पहुंचे और इस परियोजना का उद्घाटन किया.

उस दिन यह बताया गया कि गाँव तक 8.34 किलोमीटर लंबी बिजली की लाइन बिछाई जाएगी और अब इसकी लागत 3.32 करोड़ रुपये आंकी गई है.

इस योजना को तीन महीनों के अंदर पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है.

उद्घाटन के मौके पर ज़िला प्रशासन, विधायक और बिजली विभाग के अधिकारी भी मौजूद थे.

सभी ने मिलकर इस काम को समय पर पूरा करने का भरोसा दिलाया.

यह योजना सिर्फ बिजली लाने तक सीमित नहीं है.

इसके साथ ही गाँव में सड़क बनवाने, नए घरों के निर्माण, साफ पानी और इलाज की सुविधाएं लाने की भी तैयारी हो रही है.

बताया गया है कि करीब 30 नए घर बनाए जाएंगे ताकि लोगों को सुरक्षित और अच्छा घर मिल सके.

अधिकारियों ने यह भी कहा कि जब यह योजना पूरी हो जाएगी, तो गाँव की हालत में बड़ा बदलाव आएगा. लोगों की जिंदगी बेहतर होगी.

गाँव के बुजुर्गों ने कहा कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि उनके जीवन में ऐसा दिन आएगा जब उनके घरों में बिजली पहुंचेगी.

अब वे अपने बच्चों को रोशनी में पढ़ता हुआ देख सकेंगे, टीवी देख सकेंगे और बाकी जरूरी चीजों का इस्तेमाल कर सकेंगे.

यह योजना सिर्फ एक सरकारी काम नहीं है, बल्कि जंगलों में रहने वाले आदिवासी लोगों के लिए एक बड़ा और जरूरी कदम है, जो उन्हें बाकी समाज के बराबर लाने में मदद करेगा.

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