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तमिलनाडु: नीलगिरी ज़िले के सभी आदिवासियों को लगा कोविड वैक्सीन

तमिलनाडु के नीलगिरी ज़िले में काम कर रहे 354 डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों ने एक बड़ा काम कर दिखाया है. इन लोगों ने नीलगिरी ज़िले की पूरी आदिवासी आबादी के साथ-साथ वहां मौजूद चाय बागान मज़दूरों को कोविड के ख़िलाफ़ वैक्सिनेट कर दिया है.

ज़िले में स्वास्थ्य विभाग के इन डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों को सोमवार को सम्मानित किया गया. कार्यक्रम में तमिलनाडु के वन मंत्री के. रामचंद्रन ने कोविड-19 वैक्सिनेशन अभियान चलाने वाले डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों की खूब तारीफ़ की.

ज़िले में कुल 21,151 आदिवासी लोग रहते हैं. इसके अलावा चाय बागानों और चाय कारखानों में काम करने वाले 38,658 लोग भी हैं. इन सबको कोविड वैक्सीन की कम से कम एक डोज़ लगाई जा चुकी हैं.

पिछले महीने राज्य के स्वास्थ्य मंत्री मा सुब्रमण्यम ने नीलगिरी ज़िले का दौरा किया था. उन्होंने ज़िले में कोविड की रोकथाम के लिए आदिवासी समुदायों के सदस्यों और चाय बागान मज़दूरों के वैक्सिनेशन पर ज़ोर दिया था.

अब नीलगिरी में रहने वाले पीवीटीजी समुदायों के सभी योग्य वयस्कों को इस ख़तरनाक बीमारी के ख़िलाफ़ वैक्सिनेट कर दिया गया है.

तमिलनाडु सरकार ने कोविड महामारी की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की उपलब्धता सुनिश्चित करने के साथ-साथ रोगियों के लिए उपलब्ध दवाओं की कमी के मुद्दे को हल करने के लिए बहुत मेहनत की है.

राज्य सरकार यह सुनिश्चित करने पर भी काम कर रही है कि तीसरी लहर आने से पहले मरीज़ों के लिए पर्याप्त बेड के साथ-साथ ऑक्सीजन और दूसरी सुविधाएं तैयार हों.

इसके अलावा नीलगिरी ज़िले में प्रशासन द्वारा COVID-19 के प्रसार को रोकने के लिए भी विशेष क़दम उठाए जा रहे हैं. इसके तहत COVID-19 प्रोटोकॉल तोड़ने के लिए लोगों पर जुर्माना लगाने जैसे क़दम भी उठाए गए हैं.

2011 की जनगणना के अनुसार नीलगिरी ज़िले में 4.46 प्रतिशत आदिवासी आबादी है. पिछले 140 साल में एंथ्रोपॉलेजिस्ट द्वारा ज़िले में 15 आदिवासी समुदायों की पहचान की गई है. इनमें पनिया, कुरुम्बा, टोडा, कोटा, काट्टुनायकन और इरुला समुदाय प्रमुख हैं.

यह छह आदिवासी समुदाय पीवीटीजी या कमज़ोर समुदायों की कैटेगरी में आते हैं.

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