कोयंबटूर के भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) की जिला इकाई ने राज्य सरकार से आग्रह किया है कि आदिवासी लोगों को घर बनाने के लिए वन क्षेत्र से बांस, रेत और अन्य आवश्यक सामग्री इकट्ठा करने की अनुमति दी जाए.
एक विज्ञप्ति में पार्टी ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों की विभिन्न योजनाओं के तहत आदिवासियों को घर बनाने की अनुमति दी गई. विज्ञप्ति में कहा गया है कि यह सर्वविदित तथ्य है कि मैदानी इलाकों में भी सरकार द्वारा आवंटित राशि से मकान नहीं बनाया जा सकता. एक लाभार्थी को कार्यों को पूरा करने के लिए न्यूनतम 2 लाख रुपए अधिक खर्च करने पड़ते थे.
विज्ञप्ति में कहा गया है कि अगर स्थिति ऐसी रही तो पहाड़ी इलाकों के लोगों को मैदानी इलाकों से कच्चे माल की ढुलाई पर ज्यादा खर्च करना पड़ा.
परंपरागत रूप से आदिवासी लोग घरों के निर्माण के लिए जल निकायों और धाराओं से उपलब्ध रेत और बांस बजरी और पत्थरों का उपयोग कर रहे थे, जो किसी भी तरह से जंगली जानवरों या प्रकृति को प्रभावित नहीं करते थे.
विज्ञप्ति में कहा गया है कि वन अधिकार अधिनियम, 2006 में आदिवासी लोगों के पारंपरिक अधिकारों को भी मान्यता दी गई थी. लेकिन सत्यमंगलम टाइगर रिजर्व (एसटीआर) में वन विभाग द्वारा लोगों के अधिकारों को मान्यता नहीं दी जा रही है या उनके हक को मारा जा रहा है.
विज्ञप्ति में कहा गया है कि एसटीआर में सत्यमंगलम डिवीजन के तलमलाई वन रेंज में मावनथम बस्ती में 15 आदिवासी परिवारों को घर आवंटित किए गए थे. लेकिन वे आगे बढ़ने में असमर्थ थे क्योंकि उन्हें बांस या रेत इकट्ठा करने की अनुमति नहीं दी गई थी. विज्ञप्ति में कहा गया है और ऐसी जरूरत है कि आदिवासी लोगों के अधिकारों को बरकरार रखा जाए.