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आंध्र प्रदेश: गांव तक सड़क नहीं, गर्भवती को डोली में लटकाकर पहाड़ों में 10 किलोमीटर पैदल चले लोग

एक गर्भवती आदिवासी महिला को शुक्रवार को आंध्र प्रदेश के विजयनगरम जिले के एस कोटा मंडल के मुला बोड्डावर पंचायत के चित्तमपाडु आदिवासी बस्ती में 10 किलोमीटर की दूरी के लिए एक अस्थायी स्ट्रेचर (स्थानीय भाषा डोली में) में लेकर अस्पताल गए.  

यह घटना उसके गांव के लिए उचित सड़क संपर्क की कमी को उजागर करती है. 30 वर्षीय मज्जी गंगम्मा के गांव में खराब इंफ्रास्ट्रक्चर के कारण एंबुलेंस नहीं पहुंच सकी. यहां पर सिर्फ चौपहिया वाहन ही नहीं दुपहिया वाहन भी पहाड़ी और फिसलन भरे रास्ते पर आ जा नहीं सकते हैं.

ऐसे में स्थानीय लोगों ने घने जंगल से होते हुए मेट्टापलेम जंक्शन तक पैदल यात्रा की, जहां से उसे एक वाहन में एस कोटा के सरकारी अस्पताल में ले जाया गया. अभी उसका इलाज चल रहा है.

गंगम्मा के पति मज्जी रामुडू और रिश्तेदारों ने कहा, “अधिकारी हमारी दलीलों की अनदेखी कर रहे हैं. एक बार जब वे इसका सामना करेंगे तो वे हमारी समस्या को समझेंगे.”

इस तरह की ये पहली घटना नहीं है जब आदिवासी इलाकों में गर्भवती महिला को डोली में लटकाकर अस्पताल में पहुंचाया गया हो. अमूमन सड़कों से संपर्क न होने के चलते बीमार मरीजों और गर्भवती महिलाओं को कई किलोमीटर तक पैदल ले जाने के लिए मजबूर किया जाता है ताकि वे निकटतम स्वास्थ्य केंद्र तक पहुंच सकें.

हाल ही में विशाखापत्तनम के 11 आदिवासी मंडलों में एकीकृत जनजातीय विकास एजेंसी द्वारा किए गए एक आवास सर्वेक्षण में 978 बस्तियों को ‘डोली बस्तियों’ के रूप में पहचाना गया है. यह जनजातीय क्षेत्रों में कुल बस्तियों का 26 फीसदी है.

इन क्षेत्रों के लोग लकड़ी के खंभे और बंधे कपड़े से बने ‘डोली’ नामक अस्थायी स्ट्रेचर में मरीजों को ले जाने के लिए मजबूर हैं. कई किलोमीटर दूर तक कोई अस्पताल नहीं होने और उचित सड़क संपर्क न होने के कारण, एम्बुलेंस अक्सर जनजातीय क्षेत्र के आंतरिक हिस्सों तक पहुचने में असमर्थ होती हैं.

(Image Credit: The Times of India)

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