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आदिवासियों ने किया अर्धनग्न धरना, राशन के लिए 20 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है

एक तरफ जहां आज देशभर में विश्व आदिवासी दिवस मनाया जा रहा है, वहीं दूसरी तरफ विश्व आदिवासी दिवस की पूर्व संध्या पर आंध्र प्रदेश के अल्लूरी सीताराम राजू और अनकापल्ली ज़िलों के सीमावर्ती क्षेत्रों के आदिवासियों ने बुनियादी सुविधाओं को लेकर अर्धनग्न विरोध प्रदर्शन किया. 

आदिवासी लोगों ने अड्डा के पत्तों से बनी टोपी पहनकर सड़क, आंगनवाड़ी केंद्र और स्कूल की मांग की है. आदिवासियों ने पिथरुगेड्डा गांव में धरना दिया. इसके अलावा उन्होंने केंद्र द्वारा वन अधिकार अधिनियम में प्रस्तावित संशोधन की निंदा की और आरोप लगाया कि यह वनों को कॉर्पोरेट कंपनियों को सौंपने की कोशिश है. 

उन्होंने नारे लगाए कि वे जंगलों की रक्षा करेंगे, जो उनकी आजीविका का स्रोत है, और सरकार से अपील की कि वे उन्हें राजस्व के स्रोत के रूप में न देखें.

आदिवासियों ने अरला पंचायत के रोलुगुंटा मंडल के पेड़ा गरुवु और पिथरुगेड्डा से लेकर मूलपेटा पंचायत के जाजुलबांधा गांव तक करीब चार किलोमीटर की दूरी पर रैली निकालकरधरना दिया.

कोयुरु मंडल के पेडा गरुवु और पिथरुगेड्डा के लगभग 400 लोग पहाड़ी के सबसे ऊपरी हिस्से में रहते हैं. आदिवासी लोगों ने आरोप लगाया कि उनके गांव में सड़क और सुरक्षित पेयजल की सुविधा नहीं है. जिससे लोग अक्सर बीमार पड़ते है, और बीमार और गर्भवती महिलाओं को ‘डोली’ में अरला पंचायत की सड़क तक ले जाना पड़ता है.

उन्होंने कहा कि 0 से 11 वर्ष आयु वर्ग में 70 बच्चे और 12 से 14 वर्ष आयु वर्ग में 15 बच्चे हैं, लेकिन उनके गांव में कोई आंगनबाडी केंद्र या सरकारी स्कूल नहीं है. बच्चों को नजदीकी स्कूल तक पहुंचने के लिए 4 किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है. जबकि ग्रामीणों को अतिरिक्त परिवहन शुल्क का भुगतान कर जीसीसी डिपो से राशन लेने के लिए 20 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है.

एपी गिरिजना संघम पांचवीं अनुसूची साधना समिति के नेता के. गोविंदा राव, जाजुलबांधा गांव के बुजुर्ग मर्री वेंकट राव, पिथरुगेड्डा के कोर्रा सुब्बा राव और पेड़ा गरुवु के कोल्लो नरसैय ने विरोध प्रदेर्शन कर रहे आदिवासियों के साथ एकजुटता व्यक्त की. उन्होंने आरोप लगाया कि पूर्व में आईटीडीए परियोजना अधिकारी को कई बार बुनियादी सुविधाओं के लिए आवेदन दिया गया लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है

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