आंध्र प्रदेश के अल्लूरी सीताराम राजू (Alluri Sitarama Raju) ज़िले की रोम्पाल्ली ग्राम पंचायत (Rompalli gram panchayat) का दूरदराज का आदिवासी गांव गुडेम (Gudem) बुधवार को रोशनी से जगमगा उठा.
दरअसल, भारत की आज़ादी साढ़े सात दशक के बाद यह पहली बार था जब इस गांव में बिजली पहुंची.
गांव में बिजली आने से इस पहाड़ी इलाके में रहने वाले 17 परिवारों के लिए सात दशकों से ज़्यादा समय से चला आ रहा अंधेरा खत्म हो गया है.
पांच महीने पहले डिप्टी चीफ मिनिस्टर के. पवन कल्याण ने इस गांव का दौरा किया था और उन्होंने गांव वालों की गुहार सुनी और बिजली पहुंचाने के प्रोजेक्ट को तेज़ी से पूरा करवाया.
केंद्र सरकार से मिले फंड और AP इलेक्ट्रिसिटी डिपार्टमेंट के कर्मचारियों की मदद से पावर अथॉरिटीज़ ने पहाड़ी पर बसे गांव तक बिजली लाइन पहुंचाने के लिए करीब 9.6 किलोमीटर की दूरी में 217 बिजली के खंभे लगाए.
इसके अलावा राज्य सरकार ने 17 घरों में से हर एक को पांच बल्ब और एक पंखा दिया.
अल्लूरी सीताराम राजू ज़िले के घने जंगलों में अनंतगिरि मंडल हेडक्वार्टर से 50 किलोमीटर दूर स्थित गुडेम गांव दशकों से मॉडर्न दुनिया से लगभग कटा हुआ था. यह गांव सड़कों, साफ पीने के पानी और बिजली जैसी बुनियादी सुविधाओं से कटा हुआ था. निवासी रात में जंगली जानवरों के डर में रहते थे और लालटेन पर निर्भर थे.
सालों तक अधिकारियों से बार-बार अपील करने के बावजूद, कोई समाधान नहीं निकला, जब तक कि पांच महीने पहले आदिवासियों ने अपनी परेशानियां पवन कल्याण के ध्यान में नहीं लाईं.
उनकी हालत देखकर डिप्टी सीएम ने ASR ज़िला कलेक्टर को गांव में बिजली पहुंचाने को प्राथमिकता देने का निर्देश दिया.
उन्होंने एनर्जी मिनिस्टर गोट्टीपति रवि कुमार और APEPDCL CMD पृथ्वी तेज के साथ मिलकर 80 लाख रुपये की अनुमानित लागत पर प्रोजेक्ट को तेज़ी से पूरा करने के लिए तालमेल बिठाया.
इसे नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय की नॉन-PV GEET योजना के तहत केंद्र सरकार के फंड से पूरा किया गया.
एक स्थायी उपाय के तौर पर सोलर पैनल भी लगाए गए और ग्रिड से जोड़े गए.
कई चुनौतियां थी सामने
इलेक्ट्रिफिकेशन प्रोजेक्ट में अपनी अलग चुनौतियां थीं. 9.6 किलोमीटर तक फैले जंगल वाली पहाड़ियों और पथरीले इलाके में बिजली के खंभे लगाने थे. मज़दूरों ने खंभों को हाथ से पहुंचाया और बहुत मुश्किल हालात में पथरीली पहाड़ियों में खुदाई करने के लिए खास टीमें बनाईं. पूरे काम में 80 लाख से ज़्यादा का खर्च आया है.
बुधवार को, कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर अधिकारियों ने सभी 17 घरों में बिजली चालू कर दी. इसके लिए निवासियों ने पवन कल्याण की तस्वीर पर माला पहनाई, जिनका उन्होंने अपनी ज़िंदगी बदलने का श्रेय दिया.
वहीं डिप्टी चीफ मिनिस्टर ने फंड देने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की भूमिका को माना और चीफ मिनिस्टर एन. चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार की बेसिक सुविधाएं देने के लिए तारीफ की.
पवन कल्याण ने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने दूरदराज के आदिवासी इलाकों में रोशनी लाने के लिए फंड आवंटित किया है. मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व में राज्य में NDA सरकार सभी के लिए बुनियादी ढांचे के प्रावधान को प्राथमिकता देती है, गुडेम का बिजलीकरण इसका सबूत है.”
उन्होंने एनर्जी मिनिस्टर रवि कुमार, APEPDCL CMD और फील्ड स्टाफ को सिर्फ 15 दिनों में काम पूरा करने के लिए कड़ी चुनौतियों का सामना करने के लिए धन्यवाद दिया.
बिजली की सप्लाई PM जनमन योजना के तहत सोलर पावर और विंड टरबाइन को मिलाकर हाइब्रिड पावर जेनरेशन से होती है.
इसके अलावा भरोसेमंद बिजली सप्लाई पक्का करने के लिए एक खास ट्रांसफार्मर भी लगाया गया है.
(Image Credit: X)

