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तमिल नाडु: जब बाक़ी स्कूल खुले, तो आदिवासी बस्ती का स्कूल बंद हो गया

तमिल नाडु में स्कूल सोमवार को एक नए शैक्षणिक वर्ष के साथ शुरु हुए. जहां राज्य में स्कूल खुल रहे ते, वहीं वेल्लियांगिरी की तलहटी पर बसी एक आदिवासी गांव तनीकांडी का सरकारी प्राइमरी स्कूल हमेशा के लिए बंद हो गया. इसकी वजह है छात्रों की कमी, जिसके चलते स्कूल की हेड मिस्ट्रेस का तबादला कर दिया गया है.

सोमवार को इस स्कूल की हेड मिस्ट्रेस एस पुष्पलीला स्कूल को बंद करने की औपचारिकताओं को पूरा करने में व्यस्त थीं. कोयंबटूर जिले में यह पहला स्कूल है जो इस शैक्षणिक वर्ष में बंद किया गया है.

पुष्पलीला ने बताया कि गांव में 65 परिवार रहते  हैं, जिनमें से एक में भी पांच साल से ज़्यादा उम्र यानि स्कूल में दाखिला लेने लायक कोई बच्चा नहीं था. इसका मतलब इस साल कोई भी दाखिला नहीं हुआ.

इसके अलावा, कुछ छात्र जो पहले से यहां पढ़ रहे थे, एक निजी स्कूल में ट्रांस्फ़र हो गए. पुष्पलीला ने बताया कि स्कूल पहुंचने के लिए घने जंगल के बीच एक किलोमीटर पैदल चलना पड़ता. उन्होंने कहा कि पिछले साल से सिर्फ़ एक छात्र पांचवीं कक्षा में पढ़ रहा है.

“आदिवासी बच्चों के लिए यह स्कूल 2015 में शुरू किया गया था. लगभग 70 छात्रों ने अब तक यहां से अपनी प्राथमिक शिक्षा पूरी की और पास के मुट्टतुवायल हाई स्कूल में चले गए. हम जानते थे कि बस्ती में पांच साल तक का कोई बच्चा नहीं है, लेकिन सोमवार को इस उम्मीद में स्कूल खोला कि कम से कम कोई बच्चा आस-पास के इलाक़ों से दाखिला लेने आएगा. इसके अलावा, ब्लॉक शिक्षा कार्यालयों के अधिकारियों ने बस्ती के हर घर में योग्य बच्चों की तलाश की, लेकिन कोई नहीं मिला. इसलिए उन्हें स्कूल बंद करने के लिए मजबूर होना पड़ा, और मेरा तबादला कर दिया गया,” उन्होंने कहा.

सूत्रों के अनुसार 2017-18 से ही पहली कक्षा में कोई दाखिला नहीं हुआ है. 2018 और 2022 के बीच, छह छात्रों ने कक्षा 2 से 5 तक पढ़ाई की. पांचवीं कक्षा पूरी करने के बाद, छात्र पास के हाई स्कूल में छठी कक्षा में शामिल हो जाते हैं. यह हाई स्कूल बस्ती से पांच किलोमीटर की दूरी पर है.

पिछले शैक्षणिक वर्ष में, एक छात्र ने पांचवीं कक्षा पूरी की और मुट्टतुवायल स्कूल में दाखिला लिया. स्कूल शिक्षा विभाग का कहना है कि बस्ती में दो योग्य बच्चे हैं लेकिन वो एक निजी स्कूलों में पढ़ रहे हैं.

बस्ती में ही स्कूल होने के बावजूद, दोनों बच्चों को आरटीई के तहत निजी स्कूल में दाखिला मिल गया. अधिकारी कहते हैं कि यह उल्लंघन है, क्योंकि अगर दोनों बच्चों को निजी के बजाय सरकारी स्कूल में भर्ती कराया जाता, तो बस्ती का स्कूल चलता रहता.

मुख्य शिक्षा अधिकारी एन गीता ने द न्यू इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “केवल इस स्कूल को बंद किया गया है क्योंकि कोई दाखिला नहीं था.” आरटीई के तहत दाखिले की जांच की जाएगी, उन्होंने कहा.

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