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असम सरकार ने ‘टी ट्राइब्स’ युवाओं के लिए मेडिकल सीट कोटा को दी मंजूरी

असम कैबिनेट ने 4 नवंबर को “टी ट्राइब्स” समुदाय के छात्रों के लिए राज्य द्वारा संचालित मेडिकल कॉलेजों में सीटों के आरक्षण को मंजूरी दे दी है. असम में आठ सरकारी मेडिकल कॉलेज हैं.

मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा, “एमबीबीएस और बीडीएस (बैचलर ऑफ डेंटल सर्जरी) के लिए टी ट्राइब्स समुदायों के लिए आरक्षित सीटों को ब्रह्मपुत्र घाटी और बराक घाटी के बीच आनुपातिक रूप से विभाजित किया गया है.”

कैबिनेट ने 803 प्रमुख सम्पदाओं और कई छोटे चाय बागानों में काम कर रहे चाय बागान समुदाय के लिए 24 एमबीबीएस और तीन बीडीएस सीटें आरक्षित करने का फैसला किया.

समुदाय के ब्रह्मपुत्र घाटी के छात्रों के लिए जहां 18 सीटें आरक्षित की गई हैं. वहीं छह सीटें बराक घाटी के लिए आरक्षित की गई हैं. इसी तरह दो बीडीएस सीटें ब्रह्मपुत्र घाटी के लिए और एक बराक घाटी के लिए हैं.

साथ ही कैबिनेट ने ग्रामीण क्षेत्रों में आवंटन के तीन साल के भीतर एक भूमि आवंटन प्रमाण पत्र को एक आवधिक ‘पट्टा’ (Periodic lease) में बदलने को भी मंजूरी दी.

हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा, “परिवर्तन के मामले जिन्होंने आवधिक ‘पट्टा’ प्राप्त करने के लिए वर्षों की जनादेश अवधि पूरी नहीं की है उन्हें मिशन बसुंधरा के तहत शामिल किया जाएगा. इस शर्त के अधीन आवंटित भूमि को स्थानांतरित नहीं किया गया है और सिर्फ उसी उद्देश्य के लिए इस्तेमाल किया गया है जो इसे आवंटित किया गया था.”

कुछ हफ्ते पहले शुरू किया गया मिशन बसुंधरा लोगों के लिए भूमि राजस्व सेवाओं को और अधिक सुलभ बनाने और हल करने का प्रयास करता है. इस मिशन के लिए एक पोर्टल नौ भूमि से संबंधित सेवाओं को संभालता है जैसे कि विरासत के अधिकार से उत्परिवर्तन, डीड पंजीकरण के बाद उत्परिवर्तन, निर्विवाद मामलों के लिए विभाजन और गैर-कृषि भूमि के लिए एक ‘बीघा’ से कम कृषि भूमि का पुनर्वर्गीकरण.

कैबिनेट के अन्य फैसलों में पुजारियों और ‘नामघोरियों’ (‘नामघरों’ या वैष्णव प्रार्थना हॉल से जुड़े लोग) की सहायता शामिल थी. इसके लिए इन श्रेणियों के लोगों को 15 हज़ार का एकमुश्त अनुदान देना आवश्यक है।

कोविड-19 से प्रभावित प्रवासी श्रमिकों को सूखा राशन प्रदान करने के लिए असम प्रवासी श्रमिक खाद्य सुरक्षा योजना को भी मंजूरी दी गई थी. एक सरकारी प्रवक्ता ने कहा कि जिला अधिकारियों को ई-श्रम पोर्टल और अन्य उपलब्ध संसाधनों पर उपलब्ध प्रवासी श्रमिकों के आंकड़ों के आधार पर सूखा राशन वितरित करने का काम सौंपा जाएगा.

दरअसल चाय बागानों से जुड़े आदिवासियों को एक प्रमुख वोट बैंक माना जाता है. असम के कुल 126 विधानसभा क्षेत्रों में से 42 में ये प्रभावशाली हैं. इसलिए किसी भी पार्टी के लिए उनकी अनदेखी करना नामुमकिन है. लेकिन जैसा कि अब तक होता आया है वादे तो तोड़ने के लिए ही किए जाते हैं.

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