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मणिपुर से ज्यादा बंगाल-राजस्थान में रेप, संसद सत्र से पहले वीडियो जारी करने के पीछे राजनीति- हिमंत बिस्वा सरमा

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने मणिपुर में दो आदिवासी महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाने के वायरल वीडियो के जारी होने के समय पर सवाल उठाया है. उन्होंने कहा कि संसद के मानसून सत्र से ठीक एक दिन पहले इसे जारी करना राजनीति है.

साथ ही सरमा ने दावा किया कि पश्चिम बंगाल, राजस्थान और छत्तीसगढ़ जैसे कुछ विपक्ष शासित राज्यों में दुष्कर्म की घटनाएं बीजेपी शासित मणिपुर या अन्य पूर्वोत्तर राज्यों की तुलना में बहुत अधिक हैं.

सीएम हिमंत सरमा ने कहा, “इस घटना के संबंध में मामला बहुत पहले ही दर्ज किया गया था क्योंकि इसका वीडियो उपलब्ध था. लेकिन यह संसद सत्र शुरू होने से एक दिन पहले लीक हुआ. इसलिए कुछ प्रकार की राजनीतिक चीजें शामिल हैं.”

उन्होंने कहा कि यह एक वीभत्स घटना है और वीडियो जारी होने के समय के बावजूद दोषियों को माफ नहीं किया जा सकता.

मुख्यमंत्री सरमा ने कहा, “वीडियो जारी होने की तारीख चाहे जो भी हो घटना की निंदा की जानी चाहिए, दोषियों को दंडित किया जाना चाहिए. इसमें मुझे कोई आपत्ति नहीं है. लेकिन आपको पूरे मणिपुर या पूर्वोत्तर को बदनाम नहीं करना चाहिए.”

उन्होंने आगे कहा, “हमें बुरा लग रहा है कि पूरे राज्य को बदनाम किया जा रहा है. निंदा केवल उस घटना तक ही सीमित रहनी चाहिए. इसे मणिपुर की घटना नहीं कहा जाना चाहिए. आप बार-बार राज्य का नाम क्यों लेते हैं? मानो कांग्रेस शासित राज्यों में कोई बलात्कार ही नहीं होता! यह गलत है। लोग घटना की निंदा कर रहे हैं और दोषियों को गिरफ्तार कर लिया गया है, लेकिन राज्य को बदनाम नहीं किया जाना चाहिए.”

हिमंत बिस्वा सरमा ने राहुल गांधी पर भी निशाना साधते हुए कहा, “इस घटना का अन्य मणिपुरी लोगों से क्या संबंध है? आप मणिपुर को ऐसे बदनाम कर रहे हैं जैसे राज्य के हर घर, हर गली में ऐसी घटनाएं हो रही हैं.”

उन्होंने दावा किया कि पूर्वोत्तर खासकर मणिपुर, नगालैंड और अरुणाचल प्रदेश में दुष्कर्म की घटनाएं कम होती हैं.

बीजेपी नेता ने कहा, “यह घटना दुखद है लेकिन ऐसी छवि बनाई जा रही है कि मणिपुर में ऐसा हर दिन होता है. अगर आप पश्चिम बंगाल, राजस्थान और छत्तीसगढ़ की दुष्कर्म की घटनाओं की तुलना मणिपुर से करें तो यह मणिपुर में कम है.”

उन्होंने कहा, ”हम चाहते हैं कि मणिपुर सरकार ऐसी चार्जशीट दाखिल करे कि न्यायपालिका दोषियों को सख्त से सख्त सजा दे.”

दरअसल, मणिपुर में करीब 1 हज़ार लोगों की हथियारबंद भीड़ ने कांगपोकपी जिले के एक गांव पर हमला किया था और मकानों में लूटपाट की, उनमें आग लगाई, हत्या की और दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाया. इन महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाने का वीडियो सामने आने के बाद पूरा देश आक्रोशित है और घटना के विरोध में जगह-जगह प्रदर्शन किए जा रहे हैं.

इस मामले में पुलिस अब तक मुख्य आरोपी समेत पांच लोगों को गिरफ्तार किया है. इस बीच राजधानी इंफाल से एक फिर हिंसा की खबर सामने आई है.

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, इंफाल के गढ़ी इलाके में महिला प्रदर्शनकारियों ने मेन रोड को दोनों तरफ से ब्लॉक कर दिया. प्रदर्शनकारियों ने रोड पर टायर जलाए और पुलिस को कार्रवाई करने से रोक दिया. सूचना मिलते ही मणिपुर की सशस्त्र पुलिस, सेना और त्वरित कार्य बल के जवान मौके पर पहुंचे. प्रदर्शनकारियों को नियंत्रण में रखने के लिए पुलिस और सुरक्षाबलों ने विभिन्न इलाकों में संयुक्त रूप से फ्लैग मार्च किया है.

मणिपुर बीते 81 दिनों से जातीय हिंसा की आग में झुलस रहा है. राज्य में 3 मई को एक रैली के बाद इंफाल घाटी के मैतेई और पहाड़ी क्षेत्र में रहने वाले कुकी समुदाय के बीच हिंसा भड़क उठी थी. अब तक हिंसा के चलते 160 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी. वहीं 50 हजार से ज्यादा लोग अपने घरों से भागकर शरणार्थी शिविरों में रहने के लिए मजबूर हैं.

19 जुलाई को मणिपुर में महिलाओं के साथ हुई बर्बरता का एक वीडियो वायरल हुआ तो देश में सनसनी फैल गई. वीडियो में पुरुषों की भीड़ दो महिलाओं को बिना कपड़ों के घुमाती नजर आई थी. वीडियो 4 मई का था लेकिन दो महीने के बाद भी आरोपियों को पकड़ा नहीं गया था. वायरल होने के बाद पुलिस ने कार्रवाई की और अब तक पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया है.

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