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आदिवासी आस्था और संस्कृति के लिए बनेगा अलग विभाग – हिमंत बिस्वा सरमा

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि मूल आदिवासी आस्था और संस्कृति के प्राचीन ज्ञान के महत्व को उनकी सरकार समझती है.

उन्होंने कहा है कि राज्य सरकार ने आदिवासी समुदायों की आस्था और संस्कृति को बढ़ावा देने के साथ साथ संरक्षित करने का भी फ़ैसला किया है. इस सिलसिले में काम करने के लिए सरकार ने अलग से एक विभाग बनाने का निर्णय लिया है.

सरमा ने असम विधानसभा अध्यक्ष की उपस्थिति में 14 मार्च को 30 आदिवासी समुदायों के प्रतिनिधियों से मुलाकात की है. इस मुलाक़ात में मुख्यमंत्री ने आदिवासी नेताओं से उनकी आस्था और संस्कृति पर लंबी बातचीत की.

उन्होंने अलग अलग आदिवासी समुदायों से आए लोगों को आश्वासन दिया कि राज्य में आदिवासी संस्कृति और आस्था को संरक्षित करने के लिए सभी ज़रूरी कदम उठाए जा रहे हैं.

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह विभाग राज्य सरकार के लिए राज्य की जनसांख्यिकी और मूल आदिवासी संस्कृति के गुलदस्ते को समृद्ध करने के लिए एक कार्य योजना तैयार करेगा. विभाग अनिवार्य रूप से गहन शोध करेगा और युवा पीढ़ी को प्राचीन आस्था और संस्कृति के गुणों को आत्मसात करने में मदद करेगा.

असम के मुख्यमंत्री ने आदिवासी नेताओं के साथ बातचीत करते हुए कहा, “असम एक बड़े क्षेत्र का एक सूक्ष्म हिस्सा है जहां विभिन्न स्वदेशी और आदिवासी धर्म और संस्कृति के लोग सदियों से निवास करते हैं. हालांकि, अलग अलग कारणों से आजकल की युवा पीढ़ी प्राचीन विश्वास और प्रथाओं के साथ संपर्क खो रही है.”

उन्होंने कहा कि आदिवासी समुदाय जो अभी भी अपने प्राचीन धर्म, आस्था और संस्कृति का संरक्षण और पालन कर रहे हैं, वे भी एक पोर्टल के माध्यम से सरकारी सहायता के लिए आवेदन कर सकते हैं.

यह कहते हुए कि असम में स्वदेशी और आदिवासी ज्ञान का एक समृद्ध भंडार है, सरमा ने कहा कि सरकार युवा पीढ़ी द्वारा उनकी पढ़ाई के लिए पर्याप्त कदम उठाएगी ताकि बड़े पैमाने पर समाज लाभान्वित हो सके. उन्होंने यह भी कहा कि सरकार आने वाले दिनों में स्वदेशी और आदिवासी आस्था की विशेषताओं, कृतियों, कला और संस्कृति को लघु रूप में समेटे हुए एक मेगा प्रदर्शनी भी आयोजित करेगी. इसका उद्देश्य  उनके लिए और अधिक मौक़े पैदा किये जा सकें.

असम के मुख्य मंत्री ने हाल ही में आदिवासी आबादी से जुड़ी कई तरह की घोषणाएँ की हैं. लेकिन राज्य में आदिवासियों से जुड़े कुछ ऐसे मसले हैं जिन पर सरकार के लिए फ़ैसले आसान नहीं है. मसलन राज्य के चाय बाग़ानों में काम करने वाले आदिवासियों को आज भी राज्य में जनजाति का दर्जा प्राप्त नहीं है. जबकि ये आदिवासी अब कई पीढ़ियों से यहाँ पर रह रहे हैं. यह मुद्दा बरसों से लटक रहा है और इसे राजनीतिक तौर पर काफ़ी संवेदनशील मुद्दा माना जाता है.

टी ट्राइबल पुकारे जाने वाले इन समूहों को भी कई तरह के फ़ायदे देने के दावे असम की सरकार कर रही है. 

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