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हिमंत बिस्वा सरमा ने गैर आदिवासी लोगों से की आदिवासी कला और संस्कृति के संरक्षण का आह्वान

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने लोगों से आदिवासी कला और संस्कृति संरक्षण और उसके प्रचार प्रसार में योगदान देने का आह्वान किया है.

मुख्यमंत्री ने शुक्रवार को गुवाहाटी के सोनापुर के तपेसिया स्थित लक्ष्मीबाई राष्ट्रीय शारीरिक शिक्षा संस्थान, पूर्वोत्तर स्टेडियम में भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम की पहल पर ‘जनजातीय नेता सम्मेलन’, ‘पूर्वोत्तर की आवाज’ के तीन दिवसीय कार्यक्रम के उद्घाटन कार्यक्रम में भाग लिया.

इस मौके पर मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिवासी कला और संस्कृति ने भारतीय संस्कृति और सभ्यता को बहुत समृद्ध किया है और आदिवासी कला, संस्कृति की रक्षा, संरक्षण और प्रचार करना बहुत अहम है.

जनजातीय कला और संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन में खुद लोगों से नेतृत्व करने का आग्रह करते हुए हिमंत बिस्वा सरमा ने गैर-आदिवासी लोगों से भी इस तरह की कोशिशों में आगे बढ़कर भूमिका निभाने का आह्वान किया.

मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत की सभ्यता के विकास में आदिवासी कला, संस्कृति, आस्था, रीति-रिवाजों और परंपराओं के महत्व को ध्यान में रखते हुए असम सरकार ने एक नया विभाग ‘स्वदेशी आस्था और संस्कृति विभाग’ स्थापित किया है. उन्होंने कहा कि उनकी सरकार इस संबंध में सभी कोशिशों का समर्थन करना जारी रखेगी.

उन्होंने आगे कहा कि वर्तमान बजट में इस विभाग के लिए 100 करोड़ रुपये निर्धारित किए गए हैं और सरकार का इरादा अगले पांच वर्षों में बजट आवंटन को 500 करोड़ रुपये तक बढ़ाने का है.

जनजातीय विश्वास और संस्कृति संरक्षण मंच द्वारा आयोजित सम्मेलन के उद्घाटन कार्यक्रम में अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम के अध्यक्ष रामचंद्र खराड़ी और राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष हर्ष चौहान भी मौजूद थे.

हाल ही में हिमंत बिस्वा सरमा ने आदिवासी लोगों के सभी मुद्दों को हल करने के लिए तीन सदस्यीय कैबिनेट समिति बनाने की घोषणा की है. हिमंत बिस्वा ने बुधवार को घोषणा की कि असम में आदिवासी लोगों के सभी लंबित मुद्दों पर चर्चा और समाधान के लिए तीन सदस्यीय कैबिनेट समिति का गठन किया जाएगा.

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