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2019 में आदिवासी और दलित के खिलाफ़ अपराध में 11.46% की बढ़ोत्तरी हुई

2019 में उससे पिछले साल के मुक़ाबले अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदायों पर अत्याचार से संबंधित मामलों की संख्या में लगभग 12 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है.

केंद्र सरकार द्वारा बुधवार को संसद में बताए गए आंकड़ों के अनुसार, 2018 में 2017 की तुलना में ऐसे मामलों में लगभग 11.15 प्रतिशत की कमी आई थी, लेकिन 2019 में ऐसे मामले 11.46 प्रतिशत बढ़ गए.

राज्य सभा में दिए गए एक लिखित जवाब में, सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास अठावले ने कहा कि इस बारे में केंद्र सरकार राज्य सरकारों की कानून कार्यान्वयन एजेंसियों के साथ समीक्षा कर रही है.

इस समीक्षा का मकसद अपराधों का त्वरित पंजीकरण, अपराधों की त्वरित जांच और अदालतों द्वारा मामलों का समय पर निपटान सुनिश्चित किया जा सके.

अठावले ने राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (National Crime Records Bureau – NCRB) के आंकड़ों को अपने लिखित जवाब में साझा किया.

NCRB के आंकड़े

इन आंकड़ों के अनुसार, 2019 में कुल 49,608 मामले आईपीसी और अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत दर्ज किए गए. 2018 में 44,505 मामले दर्ज किए गए और 50,094 मामले 2017 में दर्ज किए गए थे.

इसके अलावा, सरकार ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 और नियमों के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए समय-समय पर राज्य सरकारों / केंद्रशासित प्रदेशों के प्रशासन को सलाह भी जारी की है.

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