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बीजेपी सांसद ने आरजीआई से की हिमाचल के हाटी समुदाय की चर्चा

सिरमौर जिले के हाटी समुदाय के लोगों के भारी विरोध के बाद शिमला से भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सांसद सुरेश कश्यप ने केंद्रीय हाटी समिति के प्रतिनिधिमंडल के साथ गिरिपार क्षेत्र को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने के मुद्दे पर चर्चा करने के लिए नई दिल्ली में भारत के रजिस्ट्रार जनरल (RGI) से मुलाकात की.

शनिवार को रोनहाट में आयोजित एक विरोध प्रदर्शन में  हाटी समुदाय के सदस्यों ने आने वाले चुनावों का बहिष्कार करने और गिरिपार क्षेत्र में “जनता कर्फ्यू” लगाने की धमकी दी थी ताकि मांग जल्द से जल्द पूरी न होने पर राजनेताओं के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया जा सके.

सिरमौर हाटी विकास मंच के मुख्य सलाहकार रमेश सिंगटा ने कहा कि हाटी समुदाय आने वाले दिनों में अपना आंदोलन तेज़ करेगा क्योंकि इस तरह की बैठकें पिछले 55 वर्षों से चल रही हैं. उन्होंने कहा कि अब आश्वासन के बजाय समुदाय जमीनी स्तर पर परिणाम चाहता है.

उन्होंने कहा कि अगर सरकार हाटियों को उनका हक दिलाने में विफल रही तो वे आगामी विधानसभा चुनाव में वोट नहीं देंगे. उन्होंने कहा कि सरकार को तीन लाख लोगों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ नहीं करना चाहिए क्योंकि अगर तीन लाख लोग अपने अधिकारों के लिए सड़कों पर उतरेंगे तो सड़कें छोटी हो जाएंगी और सरकार लोगों की आमद को नहीं संभाल पाएगी.

वहीं बीजेपी सांसद के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल ने आरजीआई के साथ हाटी समुदाय को अनुसूचित जनजाति का लाभ प्रदान करने के लिए शामिल तकनीकी और नृवंशविज्ञान सर्वेक्षण पर चर्चा की. बैठक में भाग लेने वाले केंद्रीय हाटी समिति के सदस्यों में इसके अध्यक्ष अमीचंद कमल, महासचिव कुंदन सिंह और कोषाध्यक्ष अतर सिंह नेगी शामिल हैं.

सुरेश कश्यप ने कहा कि प्रतिनिधिमंडल ने आरजीआई के साथ पिछली रिपोर्ट में उठाई गई सभी आपत्तियों के बारे में स्पष्ट किया, जिसका समाधान हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा पिछले साल 18 सितंबर को केंद्रीय आदिवासी मामलों के मंत्रालय और प्रधान मंत्री कार्यालय को भेजी गई नृवंशविज्ञान रिपोर्ट में किया गया है.

उन्होंने कहा कि आरजीआई ने आश्वासन दिया है कि वह तकनीकी विशेषज्ञों के साथ हाटी समुदाय की नृवंशविज्ञान रिपोर्ट पर चर्चा करेंगे और उसके बाद रिपोर्ट केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्रालय को भेजी जाएगी.

हाटी समुदाय 1967 से अपने लिए अनुसूचित जनजाति के दर्जे की मांग रहा है. ट्रांस-गिरी और जौनसार बावर क्षेत्र दोनों ही पूर्ववर्ती सिरमौर रियासत का हिस्सा रहे हैं और दोनों क्षेत्रों में सभी पहलुओं में अद्वितीय समानता है. जबकि उत्तराखंड के जौनसार बावर क्षेत्र को 1967 में ही अनुसूचित जनजाति का दर्जा मिल चुका है लेकिन ट्रांस-गिरि अभी भी संघर्ष कर रहा है.

25 दिसंबर को गिरिपार क्षेत्र की 144 पंचायतों में हाटी समुदाय की बैठक पहले ही हो चुकी है और हिमाचल के राज्यपाल के माध्यम से पारित प्रस्ताव को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास भेज दिया गया है.

1979 में तत्कालीन अध्यक्ष भोला पासवान शास्त्री की अध्यक्षता में राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने ट्रांस-गिरी क्षेत्र को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की सिफारिश की थी.

(Hindustan Times File Image)

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