Mainbhibharat

बीजेपी ने ST मोर्चा बैठक में आदिवासी मतदाताओं के बीच पहुंच बढ़ाने के निकाले तरीके

बीजेपी आए दिन अलग-अलग राज्यों के आदिवासी मतदाताओं को लुभाने और उनके बीच पहुंच बढ़ाने के तरीके निकाल रही है. दरअसल बीजेपी अनुसूचित जनजाति (ST) मोर्चा की कार्यसमिति की दो दिवसीय बैठक रविवार को संपन्न हुआ. जिसमें देश भर में अनुसूचित जनजातियों के कल्याण के संबंध में कई राजनीतिक प्रस्ताव पारित किए गए.

जनजातीय मतदाताओं के बीच बीजेपी वोट बैंक पर अपना दावा मजबूत करने के उद्देश्य से बैठक में एक दर्जन केंद्रीय मंत्रियों सहित कई आदिवासी पार्टी के नेताओं ने भाग लिया.

कई प्रस्ताव किए गए पारित

एसटी मोर्चा ने मांग की कि 15 नवंबर, जो आदिवासी प्रतीक और स्वतंत्रता सेनानी भगवान बिरसा मुंडा की जयंती है को पूरे देश में आदिवासी समुदाय के लिए गौरव के दिन के रूप में मनाया जाए.

कुछ अन्य प्रस्तावों में एसटी सूची में आदिवासियों की मान्यता सुनिश्चित करने और संबंधित राज्यों में उनके लिए आरक्षण सुनिश्चित करने की दिशा में काम करना शामिल है. वहीं राज्य जनजातीय भूमि की लूट को रोकने के लिए बनाए गए कानूनों का पूर्ण कार्यान्वयन और अवैध रूप से दावा की गई आदिवासी भूमि को दोबारा प्राप्त करने के लिए एक नया कोड लागू करना.

बीजेपी के राज्य एसटी मोर्चा के एक वरिष्ठ पदाधिकारी अशोक बारैक ने कहा, “पहले दिन संकल्पों के पेश होने के बाद रविवार को इन सभी को पारित कर दिया गया. बैठक ने आदिवासियों की बेहतरी के लिए बीजेपी के नए सिरे से प्रयास करने की दिशा तय की है. झारखंड में हम आदिवासी जमीन की लूट और उनके अस्तित्व को खतरे के खिलाफ लड़ाई जारी रखेंगे.”

कांग्रेस के कार्यकाल में हाशिए पर चले गए आदिवासी

मोर्चा के दौरान जनजातीय मामलों के केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि आदिवासी समाज स्वाभिमान के साथ आगे बढ़ना चाहता है और यही वजह है कि बीजेपी के प्रति जनजातीय समाज का भरोसा बढ़ रहा है. अर्जुन मुंडा ने कहा कि भारत का आदिवासी समाज भाजपा के नेतृत्व में सुरक्षित है.

अर्जुन मुंडा ने कहा कि जनजातीय समाज को राजनीतिक हाथियार नहीं बनने देंगे साथ ही उन्होंने आदिवासी हितों को लेकर सरकार के संकल्प को पार्टी कार्यकर्ताओं से साझा किया.

मुंडा ने कहा कि कांग्रेस के समय में आदिवासियों के नाम से कई योजनाएं बनती थी, लेकिन हकीकत यह थी कि उनके नाम पर बनी योजनाएं उनके लिए थी ही नहीं. यही कारण है कि कांग्रेस के कार्यकाल में आदिवासी समाज हाशिये पर चला गया है.

लेकिन मोदी सरकार ने देश के 700 से ज्यादा आदिवासी समुदाय को सामूहिक रूप से आगे बढ़ाने का काम मोदी सरकार ने किया. केंद्र सरकार ने आदिवासी हितों का ख्याल रखते हुए प्रत्येक ब्लॉक में एक एकलव्य विद्यालय खोलने की योजना बनाई जिस पर काम चल रहा है. साथ ही वनधन योजना जैसी कई योजनाए आदिवासी समाज के उत्थान के लिए बनायी.

Exit mobile version