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असम में बोडो संगठनों का भाजपा पर हमला

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा और प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष व सांसद दिलीप सैकिया के बयानों को लेकर बोडो और अन्य जनजातीय संगठनों में नाराज़गी है.

नेताओं का कहना है कि बीजेपी सभी समुदायों को बोडोलैंड टेरिटोरियल काउंसिल (BTC) क्षेत्र में बराबर ज़मीन के अधिकार और पहले दर्जे का नागरिक का स्थान देने की बात कर रही है.

इससे आदिवासी समुदाय के भूमि और राजनीतिक अधिकार खतरे में पड़ सकते हैं.

जनजातीय नेताओं का कहना है कि यह कदम छठीं अनुसूची और संविधान के प्रावधानों के खिलाफ है.

उनका आरोप है कि बीजेपी आदिवासी समुदाय के भूमि और राजनीतिक अधिकारों को खत्म करने की योजना बना रही है.

कई संगठनों ने जताया रोष

बोडोलैंड जनजाती सुरक्षा मंच, बोडोलैंड जागरण मंच, ऑल असम ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन, बोडो नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन और ऑल असम ट्राइबल संघ जैसे संगठन एकजुट होकर विरोध में उतर आए.

कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी कहा कि बीजेपी ‘फूट डालो और राज करो’ की नीति अपना रही है.

सोशल मीडिया पर भी इस मुद्दे को लेकर आदिवासी समुदाय का गुस्सा साफ दिख रहा है.

पोस्ट और वीडियो में बीजेपी पर जनजाति विरोधी नीतियां अपनाने का आरोप लगाया जा रहा है.

एम. ओख्रांग बोडो के आरोप

सामाजिक कार्यकर्ता एम. ओख्रांग बोडो ने कहा कि मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष दोनों, आदिवासी और गैर-आदिवासी समुदायों के बीच तनाव पैदा कर रहे हैं.

उनका कहना है कि छठीं अनुसूची और असम भूमि एवं राजस्व विनियमन अधिनियम 1886 आदिवासी भूमि की रक्षा के लिए हैं. लेकिन बीजेपी इन्हें कमज़ोर करना चाहती है.

उन्होंने दावा किया कि बोडोलैंड टेरिटोरियल काउंसिल में सभी समुदायों को सम्मान और सांस्कृतिक अवसर मिलते हैं.

लेकिन असम के अन्य हिस्सों में बोडो, गारो, राभा, राजबोंगशी जैसी संस्कृतियों को वह मंच नहीं मिलता, जो बोडोलैंड टेरिटोरियल काउंसिल में मिलता है.

उन्होंने यह भी याद दिलाया कि दिलीप सैकिया दो बार बोडो समुदाय के समर्थन से सांसद बने, लेकिन अब उन्हीं के खिलाफ काम कर रहे हैं.

शांति भंग करने का आरोप

लेखिका और सामाजिक कार्यकर्ता अनामिका बसुमतारी ने कहा जनवरी 2020 में बीटीआर समझौते और उसके बाद दिसंबर 2020 में यूपीपीएल के नेतृत्व में परिषद सरकार के गठन के बाद से बीटीआर में सभी वर्गों के लोगों के बीच पूर्ण शांति देखी गई है और पिछले पाँच वर्षों में कोई हत्या, बम विस्फोट या सांप्रदायिक हिंसा नहीं हुई है.

उनका कहना है कि बीजेपी द्वारा सभी को समान भूमि अधिकार देने की बात से आदिवासी समुदाय में असुरक्षा की भावना पैदा हो रही है.

उन्होंने याद दिलाया कि बोडोलैंड आंदोलन में हजारों लोगों ने बलिदान दिया, महिलाएं हिंसा की शिकार हुईं और कई लोग जेल गए.

ऐसे में इन अधिकारों को बराबर करना उनके संघर्ष का अपमान है.

संविधान का अपमान बताया

ऑल असम ट्राइबल संघ के गोहपुर जिला सचिव लक्षगिराम बसुमतारी ने दिलीप सैकिया के बयान को संविधान का अपमान बताया.

उन्होंने कहा कि यह बयान आदिवासी पहचान और अस्तित्व पर सीधा हमला है.

उनका आरोप है कि बीजेपी आदिवासी बेल्ट और ब्लॉक के साथ-साथ छठीं अनुसूची के सुरक्षा प्रावधानों को खत्म करना चाहती है.

जनजातीय संगठनों और कार्यकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि बोडोलैंड़ टैरिटोरियल काउंसिल में आदिवासी अधिकारों से छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं की जाएगी.

उनका कहना है कि बीजेपी का यह कदम सामुदायिक संतुलन बिगाड़ने वाला है. संगठनों ने लोगों से एकजुट होकर इस नीति का विरोध करने की अपील की है.

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