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तेलंगाना: आदिवासी किसान की पिटाई पर BRS ने मांगा न्याय

तेलंगाना के नलगोंडा जिले में आदिवासी किसान धनावत साई सिद्दू की कथित पुलिस पिटाई के मामले में बीआरएस विधायक जगदीश रेड्डी ने नाराजगी जताई है.

बुधवार को बीआरएस विधायक जगदीश रेड्डी ने पीड़ित आदिवासी किसान के गांव पहुंचकर परिवार से मुलाकात की. उन्होंने इस मामले में दोषी पुलिसकर्मियों को निलंबित किया जाने की मांग की है.

उन्होंने कहा कि पीड़ित परिवार को हर तरह की मदद और मुआवज़ा दिया जाना चाहिए.

रेड्डी ने राज्य सरकार से निष्पक्ष जांच की भी मांग की है.

रेड्डी ने कहा, “साई सिद्दू को इतनी बुरी तरह मारा गया है कि वह अब खेतों में काम करने की हालत में नहीं है. परिवार में कमाने वाला और कोई नहीं है. सरकार को तुरंत आर्थिक सहायता देनी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ऐसी पुलिस ज्यादती दोबारा न हो.”

उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकार पुलिस का इस्तेमाल विरोध करने वालों को डराने और झूठे केस दर्ज करने में कर रही है.

रेड्डी का कहना है कि ज़िलों के एसपी भी स्वतंत्र रूप से काम नहीं कर पा रहे हैं.

क्या है पूरा मामला

यह मामला 9 सितंबर की सुबह का है. नलगोंडा ज़िले के दमरचेरला मंडल के कोठापेटा टांडा गांव के 22 वर्षीय आदिवासी किसान धनावत साई सिद्दू ने कुछ दिन पहले यूरिया की आपूर्ति में देरी को लेकर हुए एक विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया था.

परिवार का आरोप है कि इसी के बाद पुलिस ने उन्हें निशाना बनाया.

सिद्दू की पत्नी धनावत भूमिका के मुताबिक, 9 सितंबर को सुबह करीब 6 बजे वडापल्ली पुलिस स्टेशन के दो कांस्टेबल बिना वर्दी और वारंट के घर में घुसे.

उन्होंने सिद्दू को खाट से खींचकर बाहर निकाला. भूमिका ने अधिकारियों से कहा कि उनके पैरों पर चोट न करें क्योंकि उन्हें खेतों में काम करना होता है लेकिन पुलिसकर्मी नहीं माने.

उन्होंने जातिसूचक गालियां दीं और सिद्दू को जबरन मोटरसाइकिल पर बैठाकर थाने ले गए.

भूमिका का कहना है कि थाने में सिद्दू को ऊपर वाले कमरे में ले जाकर करीब 25 मिनट तक पीटा गया.

आरोप है कि सब-इंस्पेक्टर ए. श्रीकांत रेड्डी ने कांस्टेबल कोतैय्या और अन्य को सिद्दू के पैरों को रस्सी से बांधने का निर्देश दिया.

इसके बाद रबर से लिपटी लाठियों से पिटाई की गई ताकि बाहरी चोट कम दिखाई दे. पैरों के तलवों पर डंडे मारे गए, जिससे वह चलने-फिरने लायक नहीं रहे.

पिटाई के बाद पुलिसकर्मी उन्हें कोर्ट ले गए. रास्ते में इंस्पेक्टर ने धमकाया कि अगर डॉक्टर या जज को कुछ बताया तो उन्हें जेल में डाल दिया जाएगा या गोली मार दी जाएगी.

भूमिका को चार घंटे तक थाने के बाहर इंतज़ार कराया गया.

शिकायत और जांच की स्थिति

भूमिका ने इस घटना की शिकायत तेलंगाना अनुसूचित जाति-जनजाति आयोग में दर्ज कराई थी.

आयोग ने मामले को संज्ञान में लिया. लेकिन पुलिस की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया था, जिसके बाद ये मामला और गरमा गया था.

सिद्दू इस समय गंभीर चोटों के कारण अस्पताल में भर्ती है और चलने में असमर्थ है.

बीआरएस नेताओं ने कहा है कि यह सिर्फ एक आदिवासी किसान का मामला नहीं बल्कि पूरे राज्य की कानून व्यवस्था पर सवाल है.

(Image credit – Telangana Today)

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