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क्या बजट 2023-24 में आदिवासियों के लिए होगा कुछ ख़ास

नौ राज्यों, एक केंद्र शासित प्रदेश में होने वाले चुनावों और अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले केंद्रीय बजट पेश होना है. ऐसे में इस मामले की जानकारी रखने वाले एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस बार का बजट सोशल सेक्टर, विशेष रूप से अनुसूचित जातियों (Scheduled Castes), अनुसूचित जनजातियों (Scheduled Tribes) और वरिष्ठ नागरिकों को सीधे लाभ पहुंचाने वाली योजनाओं को बढ़ावा देने के लिए तैयार है.

उन्होंने कहा कि इस बार के बजट में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति बहुल जिलों में बुनियादी ढांचे के निर्माण पर जोर दिए जाने की संभावना है. साथ ही अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के छात्रों के लिए आवासीय विद्यालयों और छात्रावासों के निर्माण के लिए आवंटन में वृद्धि, वरिष्ठ नागरिकों के लिए देखभाल गृह और प्रधान मंत्री आदि आदर्श ग्राम योजना के तहत 40 प्रतिशत से अधिक आदिवासी आबादी वाले गांवों में बुनियादी सुविधाओं में सुधार करना है.

2023-24 के बजट पर सबकी नजरें अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के कल्याण के लिए केंद्रीय मंत्रालयों द्वारा आवंटित होने वाले धन पर है.

वर्तमान में 41 केंद्रीय मंत्रालय अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए लक्षित योजनाओं के लिए अनुसूचित जातियों के लिए विकास कार्य योजना (DAPSC) और अनुसूचित जनजाति घटक (STC) के तहत कुल बजट परिव्यय का 2 से 25 प्रतिशत निर्धारित करते हैं. यह परिव्यय लगभग 2.2 से 2.3 लाख करोड़ सालाना है.

हर साल कुछ मंत्रालय आवंटित धन खर्च करने के लिए अपने दायरे में योजनाओं को खोजने के लिए संघर्ष करते हैं. इनमें वाणिज्य, दूरसंचार, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस, कोयला और खान विभाग शामिल हैं.

आगामी बजट में योजना को तर्कसंगत बनाने और कुछ मंत्रालयों को डीएपीएससी और एसटीसी के तहत धन आवंटित करने से छूट मिलने की संभावना है. लेकिन अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए लक्षित योजनाओं के लिए समग्र आवंटन में कमी किए बिना.

नाम न बताने की शर्त पर एक विरष्ठ अधिकारी ने कहा, “जिन मंत्रालयों को छूट दी जाएगी उनके परिव्यय में कटौती की जा सकती है और इसे या तो नोडल मंत्रालय (सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय) को आवंटित किया जा सकता है या कुल परिव्यय का प्रतिशत बढ़ाकर अन्य मंत्रालयों को निर्धारित करने की आवश्यकता है.”

चालू वित्त वर्ष के लिए केंद्र ने DAPSC के तहत 1,42,342.36 करोड़ रुपये आवंटित किए थे. अब तक मंत्रालय परिव्यय का सिर्फ 65 प्रतिशत ही खर्च कर पाए हैं. दूरसंचार और वाणिज्य मंत्रालय दूसरों के बीच निर्धारित धन खर्च करने के लिए पर्याप्त योजनाओं की पहचान करने में सक्षम नहीं हैं. एसटीसी के तहत परिव्यय 87,584.66 करोड़ रुपये है, जिसमें से लगभग 71.67 प्रतिशत का इस्तेमाल किया जा चुका है.

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