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मध्य प्रदेश के लिए केंद्र का आदिवासी कल्याण फंड 5 साल में 50% से भी ज्यादा गिरा

मध्य प्रदेश को भाजपा सरकार भले ही राज्य के आदिवासियों को लुभाने के लिए कई कदम उठा रही है, लेकिन एक भाजपा सांसद द्वारा संसद में पूछे गए एक सवाल के जवाब से पता चला है कि केंद्र सरकार ने मध्य प्रदेश में आदिवासी कल्याण के लिए फंड को पिछले पांच सालों में लगभग 60% कम कर दिया है.

बालाघाट से भाजपा सांसद ढाल सिंह बिसेन ने पिछले पांच सालों में आदिवासी कल्याण के लिए केंद्र सरकार द्वारा मध्य प्रदेश को जारी किए गए धन का डीटेल मांगा था.

आदिवासी मामलों की राज्य मंत्री रेणुका सिंह द्वारा दिए गए जवाब के अनुसार केंद्र सरकार ने 2017-18 में मध्य प्रदेश को 4144.38 करोड़ रुपये आवंटित किए थे, जो 2021-22 में आधे से भी कम 1,718 करोड़ रुपये रह गए.

फंड्स में यह गिरावट साल दर साल हुई है. 2018-19 में फंड को घटाकर 3,335.43 करोड़ रुपये कर दिया गया, 2019-20 में इस फंस में हल्की सी बढ़ोतरी हुई, और यह 3,453.83 करोड़ रुपये हो गया.

2020-21 में, केंद्र सरकार ने बजट को और कम कर दिया और सिर्फ 3,207 करोड़ रुपये राज्य को आदिवासी कल्याण के लिए आवंटित किए गए.2021-22 में इस फंड को काफी ज्यादा घटाया गया, और यह 1,718.33 करोड़ रुपये कर दिया गया.

बीजेपी सांसद ढाल सिंह बिसेन ने कहा कि सरकारी अधिकारी केंद्र सरकार को उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं देते हैं, जिससे बजट में कमी आती है.

कांग्रेस प्रवक्ता भूपेंद्र गुप्ता ने कहा कि मंत्री के जवाब से यह स्पष्ट है कि भाजपा सिर्फ आदिवासी कल्याण की बात करती है.

गुप्ता ने कहा, “भाजपा जगहों और रेलवे स्टेशनों का नाम आदिवासी नायकों के नाम पर रखने जैसे सरसरी काम करके आदिवासियों को गुमराह करने की कोशिश करती है, लेकिन जमीनी स्तर पर कुछ नहीं करती.”

मध्य प्रदेश के अलीराजपुर, झाबुआ और बड़वानी के आदिवासी बहुल जिलों को हाल ही में नीति आयोग ने सबसे गरीब जिलों में शामिल किया था.

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