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वांचो आदिवासियों की आबादी पर सरकार ने संसद में पेश किए 10 साल पुराने आंकड़े

अरुणाचल प्रदेश की वांचो जनजाति की भाषा ख़तरे में है. आदिवासी मामलों को देखने वाले जनजातीय कार्य मंत्रालय ने कहा है कि ये आदिवासी जो भाषा बोलते हैं उसकी कोई स्क्रिप्ट नहीं है.

सरकार ने कहा है कि इस जनजाति के कुछ नौजवानों ने अपनी भाषा की स्क्रिप्ट तैयार करने की कोशिश की है लेकिन अभी तक यह लिपि बहुत लोकप्रिय नहीं है.

बीजेपी के राज्य सभा सांसद राकेश सिन्हा ने सरकार से पूछा था कि क्या यह बात सही है कि वांचो जनजाति की भाषा लिपि ख़तरे में है.

इसके अलावा उन्होंने जनजातीय कार्य मंत्रालय से यह भी पूछा था कि वांचो जनजाति की कुल आबादी कितनी है और किन किन राज्यों में यह जनजाति रहती है.

इस सवाल के जवाब में सरकार ने 10 साल पुराने आंकड़े पेश करते हुए जनगणना 2011 के आधार पर इस समुदाय की आबादी 56886 बताई है.

जनजातीय मंत्रालय ने अपने जवाब में बताया है कि यह जनजाति अरुणाचल प्रदेश में रहती है. सरकार की तरफ़ से यह भी बताया गया है इन आदिवासियों की भाषा को बचाने के लिए शिक्षा विभाग और राजीव गांधी विश्वविद्यालय की मदद से कोशिश की जा रही है.

इन कोशिशों का मकसद अरुणाचल प्रदेश के सभी आदिवासी समुदायों की भाषाओं की स्क्रिप्ट तैयार करना है. इसके बाद स्कूलों में तीसरी भाषा के तौर पर इन समुदायों के छात्रों को अपनी भाषा चुनने का विकल्प मिल सकेगा.

वांचो समुदाय अरुणाचल प्रदेश के लोंगडिंग ज़िले में रहता है. वांचो जनजाति को कोनियाक नागा जनजाति का ही हिस्सा माना जाता है. कोनियाक नागलैंड के मोन ज़िले में रहते हैं और उन्हें हेड हंटर नाम से जाना जाता है.

वांचों भी एक समय इंसान की खोपड़ी अपने घरों के दरवाज़ों पर टांग देते थे. हेड हंटर की तरह ही इस जनजाति में भी टैटू कराने की प्रथा है.

आमतौर पर इन आदिवासियों को योद्धा के तौर पर जाना जाता रहा है.

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