Mainbhibharat

हाटी समुदाय ने नहीं छोड़ी उम्मीद, आदिवासी का दर्जा पाने के लिए चलती रहेगी कोशिश

केन्द्रीय हाटी समिति को उम्मीद है कि हिमाचल के सिरमौर के गिरिपार क्षेत्र में हाटी समुदाय को आदिवासी का दर्जा मिलेगा. हालांकि केंद्र सरकार ने राज्य सरकार के हाटी समुदाय को आदिवासी का दर्जा देने के 2016 के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है, लेकिन समिति के नेताओं का कहना है कि इस संबंध में वो एक नया अभियान चलाएंगे.

और केंद्रीय हाटी समिति के अध्यक्ष, डॉ अमी चंद कमल, और महासचिव कुंदन शास्त्री के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने जनवरी में भारत के रजिस्ट्रार जनरल (आरजीआई) विवेक जोशी से मुलाकात की थी और उन्हें हाटी समुदाय की एथनोग्राफ़ी से जुड़े एक नए प्रस्ताव के बारे में बताया था. हिमाचल प्रदेश आदिवासी अनुसंधान और प्रशिक्षण संस्थान द्वारा 2018 में इस पर काम शुरु किया गया था.

कमल का कहना है कि संस्थान के निष्कर्षों को अक्टूबर 2021 में केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्रालय के सामने पेश किया गया था. रिपोर्ट में सिफारिश की गई थी कि भारत में किसी समुदाय को अनुसूचित जनजाति के रूप में घोषित करने के लिए ज़रूरी लोकुर समिति द्वारा निर्देशित मानदंडों के अनुसार हाटी समुदाय इसके योग्य है.

“रजिस्ट्रार जनरल ऑफ़ इंडिया के कार्यालय ने 2006 और 2017 के अपने पत्रों में बार-बार कहा था कि प्रस्ताव पर विचार नहीं किया जा सकता. यह पूरी तरह से हाटी समुदाय में ब्राह्मणों और राजपूतों को शामिल करने की गलत धारणा पर आधारित था. लेकिन, खश-कानेट और भट समुदायों की एक अलग एरिजिन उत्पत्ति और पहचान है, जिसे उन्होंने कई पीढ़ियों से बरकरार रखा है,” कमल कहते हैं.

उत्तराखंड में जनजाति का दर्जा मिल चुका है

गिरिपार क्षेत्र में दुर्गम पहाड़ पर उत्तराखंड की सीमा से सटा एक छोटा सा गांव है शरली. टौंस नदी के पार सामने ही उत्तराखंड का जोंसार बाबर क्षेत्र का सुमोग गांव है.

दोनों ही गांवों के लोगों की भौगोलिक स्थिति एक जैसी ही है. इनकी बोली, पहनावा, रीति-रिवाज, रहन-सहन, खान-पान, परंपराएं और जीवन स्तर में भी कोई फ़र्क़ नहीं है. इन दोनों ही गांवों के लोगों का कुल (वंश) भी एक ही है.

टौंस नदी के उस पार जोंसारा समुदाय को एसटी का दर्जा है, और इस पार हाटी समुदाय जनजातीय दर्जे के लिए करीब 49 साल से संघर्ष कर रहा है. लेकिन अब तक कोई नतीजा नहीं निकला. अगर इनके पभ में फ़ैसला लिया जाता है तो सिरमौर के गिरिपार क्षेत्र की 144 पंचायतों में करीब तीन लाख हाटी आबादी को इसका फ़ायदा मिलेगा.

हाटी समुदाय की लोक संस्कृति, मेले, त्योहार, धार्मिक मान्यताएं और सामाजिक व आर्थिक पिछड़ापन साथ लगते उत्तराखंड के जोंसार बाबर में जोंसारा समुदाय से एकदम मिलता-जुलता है.

हिमाचल में सिर्फ़ किन्नौर को एसटी का दर्जा हासिल है. किसी क्षेत्र को एसटी स्टेटस देने के लिए संवैधानिक संशोधन की ज़रूरत होती है.

राज्य की मौजूदा भाजपा सरकार, जिसने पिछले विधानसभा चुनाव में हाटी समुदाय को यह दर्जा दिलाने का वादा किया था, अब कश्मकश में है. अगले विधानसभा चुनाव में भी यह एक बड़ा मुद्दा बन सकता है. 

Exit mobile version