Site icon Mainbhibharat

मणिपुर: केंद्र ने कहा राजनीतिक वार्ता से पहले हिंसा समाप्त होनी चाहिए

मणिपुर में जारी हिंसा के बीच केंद्र सरकार ने कुकी-ज़ो काउंसिल के सदस्यों को साफ संदेश दिया है कि किसी भी राजनीतिक बातचीत की शुरुआत से पहले राज्य में हिंसा का पूरी तरह से अंत होना ज़रूरी है.

शुक्रवार को मणिपुर के कुकी-जो जनजाति की नव गठित काउंसिल के चार सदस्यों ने गृह मंत्रालय के उत्तर-पूर्व भारत के लिए सुरक्षा सलाहकार ए.के. मिश्रा से मुलाकात की. इस दौरान उन्होंने केंद्र के सामने अपनी चिंताओं और मांगों को उठाया.

हिंसा का गहराता संकट

3 मई 2023 से शुरू हुई मणिपुर की जातीय हिंसा ने अब तक 250 से अधिक लोगों की जान ले ली है. हजारों परिवार विस्थापित हो चुके हैं.

गृह मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि राजनीतिक बातचीत को सफल बनाने के लिए हिंसा और गोलीबारी पूरी तरह रुकनी चाहिए.

हालांकि कुकी-जो काउंसिल का कहना है कि जब उन पर हमले होते हैं, तो उनके पास आत्मरक्षा के अलावा कोई विकल्प नहीं होता. केजेडसी के प्रवक्ता गिन्ज़ा वुआलज़ोंग ने कहा, “हमसे शांति की अपेक्षा की जा रही है, लेकिन यह शांति दोनों पक्षों से होनी चाहिए. हम अपनी ओर से शांति बनाए रखने के लिए तैयार हैं लेकिन इसके लिए उचित माहौल बनाना होगा.”

कुकी-जो काउंसिल की भूमिका

केज़ेडसी ने मणिपुर के पहाड़ी इलाकों में रहने वाले अपने समुदाय के लिए अलग प्रशासन और कुकी-जो के लिए एक अलग संघीय क्षेत्र के निर्माण की मांग को दोहराया है.

कुकी-ज़ो काउंसिल के प्रवक्ता गिन्जा वुअलजोंग ने कहा कि हमने मणिपुर के कुकी-जो लोगों के लिए एक अलग प्रशासन बनाने और राजनीतिक बातचीत शुरू करने की मांग रखी.

कुकी-ज़ो समुदाय मणिपुर के पहाड़ी इलाकों में रहने वाले समुदाय के लोगों के लिए संविधान के अनुच्छेद 239 (ए) के तहत विधानसभा वाला केंद्र शासित प्रदेश बनाने की अपनी मांग को लेकर केंद्र सरकार के साथ बातचीत करना चाहता है.

केजेडसी के प्रवक्ता ने बताया कि पहले भी विभिन्न संगठन जैसे कांगपोकपी में ट्राइबल यूनिटी कमेटी और चुराचांदपुर में इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम, केंद्र सरकार के साथ बातचीत करते रहे हैं.

अब, गृह मंत्रालय के साथ सभी मुद्दों पर चर्चा के लिए केजेडसी को समुदाय का एकीकृत प्रतिनिधि निकाय माना जा रहा है.

प्रवक्ता ने यह भी स्पष्ट किया कि जब स्थानीय समस्याओं की बात होगी तो क्षेत्रीय स्तर पर सक्रिय समूह अपनी जिम्मेदारी निभाएंगे.

मणिपुर में जातीय हिंसा के समाधान के लिए कुकी-जो काउंसिल की मांगें और केंद्र सरकार की शांति की शर्तें एक नई राह तलाशने का प्रयास हैं. लेकिन यह देखना बाकी है कि दोनों पक्ष किस तरह से इस संवेदनशील मुद्दे पर आगे बढ़ते हैं.

Exit mobile version