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आदिवासी कल्याण योजनाओं में सुधार के लिए केंद्र तैयार

चुनावी रूप से महत्वपूर्ण आदिवासी वोटबैंक तक पहुंच बनाने के लिए केंद्र जनजातीय छात्रों के लिए एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय में हाई-टेक डिजिटल कक्षाओं सहित सभी कल्याणकारी उपायों की घोषणा करने के लिए तैयार है. आदिवासी कल्याण योजनाएं सभी राज्यों में बढ़ी हुई स्कॉलरशिप और परियोजना निगरानी इकाइयों की निगरानी करेगी.

जनजातीय मामलों के मंत्रालय ने जनजातीय कल्याण योजनाओं के पूर्ण सुधार के लिए एक कैबिनेट नोट तैयार किया है. यह सुधार तीन मदों के तहत होगा – शिक्षा, स्वैच्छिक संगठनों द्वारा लागू कल्याणकारी योजनाएं और आदिवासी कल्याण योजनाओं के लिए राज्यों को अनुदान.

मंत्रालय को व्यय वित्त समिति (EFC) की मंजूरी मिल गई है और इस महीने के भीतर कैबिनेट की मंजूरी मिलने की संभावना है. सुधार का केंद्रबिंदु शिक्षा क्षेत्र है. केंद्र ने अपनी एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (EMRS) योजना को बदलने की योजना बनाई है, जो आदिवासी छात्रों के लिए प्रमुख आवासीय विद्यालय है.

सरकार ने अपने खुद की बिल्डिंग से चलाए जा रहे प्रत्येक ईएमआरएस में छह डिजिटल क्लासरूम स्थापित करने का निर्णय लिया है. वर्तमान में 367 कार्यात्मक ईएमआरएस हैं, जिनमें से 198 अपने खुद के बिल्डिंग से संचालित हो रहे हैं.

सूत्रों के मुताबिक अपनी-अपनी बिल्डिंग से संचालित होने वाले इन कार्यात्मक स्कूलों में से प्रत्येक को डिजिटल क्लासरूम मिलेंगे.

जनजातीय मामलों के मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने द इकॉनोमिक टाइम्स को बताया, “हमने डिजिटल क्लासरूम स्थापित करने के लिए 175 स्कूलों की पहचान की है. कक्षाओं का पहला सेट दिसंबर तक 50 स्कूलों में पूरा होने की संभावना है. इससे तकनीकी-विभाजन को खत्म करने में मदद मिलेगी जो की विशेष रूप से महामारी के दौरान सामने आया था.”

मेधावी छात्रों को समय पर वितरण सुनिश्चित करने के लिए केंद्र सभी छात्रवृत्ति योजनाओं को एक छत्र योजना के तहत ला रहा है.

कल्याणकारी योजनाओं के बेहतर कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए सभी आदिवासी बहुल राज्यों में एक केंद्रीय परियोजना निगरानी इकाई और समान इकाइयों की स्थापना की योजना बनाई गई प्रमुख सुधारों में से है.

“पहली बार इन परियोजना निगरानी इकाइयों की स्थापना के लिए धन आवंटित किया जाएगा. हर एक राज्य को 50 करोड़ रुपए और केंद्रीय इकाई की स्थापना के लिए 20 करोड़ रुपए आवंटित किए जाएंगे.”

आदिवासी कल्याण के लिए आवंटित धन का लक्षित तरीके से इस्तेमाल सुनिश्चित करने के लिए सरकार परिणाम-आधारित दृष्टिकोण पर भी जोर दे रही है.

अधिकारी ने कहा, “निगरानी इकाइयां गैर-सरकारी संगठनों द्वारा कार्यान्वित की जा रही सभी परियोजनाओं की निगरानी करेंगी. अगर संपत्ति निर्माण के लिए धन आवंटित किया गया है तो यह सुनिश्चित किया जाएगा कि सभी भौतिक संपत्ति भू-टैग की गई हो.”

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