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केंद्र 15 नवंबर से पूरे भारत में आदिवासी आउटरीच कार्यक्रम शुरू करेगा

राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण आदिवासी मतदाताओं तक पहुंच बनाने के लिए केंद्र सरकार 15 नवंबर से रांची में भारत के पहले आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय के उद्घाटन के साथ अखिल भारतीय कार्यक्रम शुरू करेगा.

झारखंड के आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी बिरसा मुंडा की जयंती पर 15 नवंबर को हफ्ते भर चलने वाले समारोह की शुरुआत होगी. इस दिन को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाया जाएगा.

हफ्ते भर चलने वाले समारोह की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा संसद भवन में बिरसा मुंडा को पुष्पांजलि अर्पित करने के साथ होगी. इसके बाद रांची में बिरसा मुंडा स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय का वर्चुअल उद्घाटन होगा. यह भारत का पहला ऐसा संग्रहालय है जिसमें उस स्वतंत्रता सेनानी की जीवनी का पता चलेगा जिन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ बहादुरी से लड़ाई लड़ी और 25 साल की उम्र में अपने प्राणों की आहुति दे दी.

इसके बाद भोपाल में एक कार्यक्रम होगा जिसमें दो लाख से अधिक आदिवासी लोग हिस्सा लेंगे. इस समारोह को पीएम मोदी संबोधित करेंगे. भारत में सबसे ज्यादा आदिवासी आबादी मध्य प्रदेश में है.

हफ्ते भर चलने वाले इस समारोह में 21 आदिवासी बहुल राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 37 समान कार्यक्रम होंगे. पत्रकारों से बात करते हुए आदिवासी मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा, “आजादी के बाद यह पहली बार है कि हम अपने बहादुर आदिवासी नायकों के योगदान को याद करेंगे. सप्ताह भर चलने वाला समारोह हर साल आयोजित किया जाएगा.”

रांची में बना संग्रहालय आदिवासी मामलों के मंत्रालय द्वारा स्वीकृत 10 आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालयों में से पहला है. गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और अन्य राज्यों में नौ और संग्रहालय स्थापित किए जा रहे हैं. सरकार ने स्वतंत्रता पूर्व समय के 85 आदिवासी आंदोलनों की पहचान की है और उनका विवरण संकलित कर रही है. वहीं 200 से अधिक आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों की पहचान की गई है.

रांची में बिरसा मुंडा संग्रहालय के उद्घाटन के बाद आदि महोत्सव 16 नवंबर को नई दिल्ली में शुरू होगा और 30 नवंबर तक चलेगा. जिसमें आदिवासी कारीगर अपने कार्यों का प्रदर्शन करेंगे.

18 नवंबर को आदिवासी मामलों के मंत्रालय द्वारा पंचायती राज मंत्रालय के साथ एक दिवसीय राष्ट्रीय स्तर का सम्मेलन आयोजित किया जाएगा. इसमें 10 पेसा राज्यों के प्रतिनिधि होंगे और चर्चा करेंगे कि एसटी घटक के तहत अनुसूचित जनजाति के विकास के लिए निर्धारित 78 हज़ार करोड़ रुपए का बेहतर इस्तेमाल कैसे किया जाना चाहिए.

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