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कुछ ताकतें आदिवासी समुदाय को बांटने की कोशिश कर रही हैं: हेमंत सोरेन

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सोमवार को कहा कि कुछ ताकतें ‘जल, जंगल और जमीन’ से संबंधित मुद्दों पर आदिवासी समुदाय को विभाजित करने की कोशिश कर रही हैं. उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि ये ताकतें आदिवासी संस्कृति और परंपराओं पर भी हमला कर रही हैं.

सीएम ने 1948 में आज ही के दिन खरसावां में मारे गए आदिवासियों को श्रद्धांजलि दी और फिर सभा को संबोधित किया.

उन्होंने कहा, ‘आदिवासी उपेक्षित रहते हैं क्योंकि नीति निर्माता कभी भी समुदाय के हितों को ध्यान में नहीं रखते हैं. यही कारण है कि आदिवासी कमजोर हो गए हैं और आर्थिक, शैक्षणिक, बौद्धिक और राजनीतिक रूप से पिछड़ गए हैं.’

आदिवासी संस्कृति पर हो रहा हमला

सीएम ने आरोप लगाया कि समाज में कुछ ताकतें हैं जो आदिवासियों को ‘जल, जंगल और जमीन’ से संबंधित मुद्दों पर विभाजित करना चाहती हैं और छोटानागपुर किरायेदारी अधिनियम और संताल परगना किरायेदारी अधिनियम जैसे कानूनों के साथ छेड़छाड़ करके समुदाय को विस्थापित करना चाहती हैं. वे आदिवासी संस्कृति और परंपराओं पर भी हमला कर रहे हैं.

सोरेन ने कहा कि झारखंड की पहचान कभी आदिवासियों से होती थी लेकिन पिछले दो दशकों में यह समुदाय राज्य में हाशिए पर चला गया है.

उन्होंने आदिवासियों से एकजुट होने का आह्वान करते हुए कहा, “लेकिन आप लोगों ने मेरी पार्टी को वोट देकर सत्ता में पहुंचाया है और मैं आप सभी को आश्वस्त कर सकता हूं कि मेरी सरकार किसी को भी समुदाय के सम्मान और स्वाभिमान को धूमिल करने की इजाजत नहीं देगी.”

आपके हितों का ख्याल रखना सरकार की प्राथमिकता

उन्होंने आगे कहा, “हमारी सरकार की जड़ें बहुत मजबूत हैं क्योंकि यह आपके द्वारा चुनी गई है. इसलिए आपके हित का ख्याल रखना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है.”

सोरेन ने कहा कि उनकी सरकार आदिवासियों के सशक्तिकरण के लिए काम कर रही है और उन्होंने समुदाय के सदस्यों से अपने बच्चों के लिए उच्च शिक्षा सुनिश्चित करने का आग्रह किया.

उन्होंने दावा किया कि 2025 तक झारखंड एक ”मजबूत राज्य” बन जाएगा.

जमशेदपुर के सांसद विद्युत बरन महतो ने भी अपने प्राणों की आहुति देने वाले आदिवासियों को श्रद्धांजलि दी.

उन्होंने कहा, “झारखंड की पहचान और गौरव के लिए कई लोगों ने बलिदान दिया है और हमें प्रतिज्ञा लेनी चाहिए कि उनका बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा.”

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