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सोलिगा आदिवासियों की ग़रीबी और लाचारी का होगा सर्वे

कर्नाटक के चामराजनगर जिले के सोलिगा आदिवासी जिस जंगल में रहते थे रातों रात उसे टाइगर रिज़र्व घोषित कर दिया गया. इन आदिवासियों को वन अधिकार क़ानून का लाभ भी ठीक से नहीं मिला है. आधुनिक सुविधाओं के मामले में भी यह समुदाय काफ़ी पिछड़ा है.

यह आदिवासी समुदाय जंगल के बारे में जानकारी रखने वाला समूह है. लेकिन धीरे धीरे जंगल पर इनका अधिकार ख़त्म कर दिया गया.

अब इस आबादी का सर्वेक्षण करने के लिए वन विभाग ने एक परियोजना शुरू की है. सर्वेक्षण का उद्देश्य आदिवासियों की बुनियादी सुविधाओं का विस्तार करना है, जिसमें शैक्षिक, आर्थिक और सामाजिक स्थिति का अध्ययन शामिल है.

शुरुआती रिपोर्टों के मुताबिक, विभाग ने 40 हज़ार सोलिगा आदिवासियों का विवरण एकत्र किया है, जो जिले के 148 से अधिक आदिवासी बस्तियों और जंगल के किनारे के इलाकों में रह रहे थे.

चामराजनगर तालुक वन क्षेत्रों में 25 ऐसे आदिवासी बस्तियाँ हैं जिनमें 1,488 परिवार हैं. येलंदूर की बस्ती में 691 परिवार, गुंडलुपेट में 1,487 परिवार, हनूर तालुक में सबसे अधिक 4,177 परिवार है. चामराजनगर जिले में कुल 7,483 सोलिगा परिवार हैं.

यहां ज्यादातर परिवार अभी भी छोटे छप्पर वाले घरों में रहते हैं. इतना ही नहीं इन परिवारों के कई सदस्यों ने स्कूलों और कॉलेजों की अपनी शिक्षा बंद कर दी है. हालांकि राज्य और केंद्र सरकार ने आदिवासियों के लिए उज्ज्वला मुफ्त रसोई गैस सिलेंडर योजना शुरू की, लेकिन अधिकांश परिवार अभी भी ऐसी सुविधाओं के बिना खाना पकाने यानि जलाऊ लकड़ी पर निर्भर हैं.

क्योंकि कई जनजातीय बस्तियों में सड़कों और स्ट्रीट लाइट की पहुंच नहीं है, जिसके चलते इन क्षेत्रों के लोग अभी भी अंधेरे में रहने को मजबूर है. ये लोग बिना किसी परिवहन सुविधा के जीवन यापन कर रहे हैं.

सूत्रों ने कहा कि सोलिगा आदिवासियों के सामने आने वाली इन्हीं समस्याओं का समाधान करने के लिए, वन विभाग ने अब इन सभी परिवारों का सर्वेक्षण करने का फैसला किया है क्योंकि इससे सरकारी लाभ के लिए वास्तविक लाभार्थियों की पहचान करने में मदद मिलेगी.

टाइम्स ऑफ इंडिया (TOI) से बात करते हुए बिलिगिरी रंगनाथस्वामी मंदिर टाइगर रिजर्व के निदेशक संतोष कुमार ने कहा कि अधिकारियों ने इन आदिवासी परिवारों के घरों का दौरा करने के बाद सर्वेक्षण शुरू कर दिया है.

उनके बिलिगिरी रंगनाथस्वामी मंदिर टाइगर रिजर्व सीमा के अंतर्गत 25 आदिवासी बस्तियां आती हैं.

उन्होंने कहा, “वन विभाग ने कई स्वरोजगार गतिविधियों की शुरुआत की है जिसमें कई बांस उत्पादों का निर्माण, कॉफी की खेती को बढ़ावा देना, अगरबत्ती बनाना और वन लघु उत्पादों की बिक्री शामिल है. इसने सैकड़ों आदिवासी युवाओं को विभिन्न निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के संगठनों में नौकरी पाने में भी मदद की है.”

चामराजनगर जिला सोलिगा ट्राइबल वेलफेयर एसोसिएशन के सी मेडेगौड़ा ने बताया, “हालांकि सरकार ने पहले कई मौकों पर इस तरह के सर्वेक्षण किए थे लेकिन बुनियादी सुविधाओं तक पहुंच के बिना सोलिगा आदिवासियों का जीवन अभी भी दयनीय बना हुआ है. इन परिवारों की समस्याओं को खत्म करने के लिए सर्वेक्षण को सकारात्मक समाधान के साथ आना चाहिए.”

चामराजनगर जिले में कई आदिवासी समुदाय रहते हैं जिनमें ज्यादातर सोलिगा आदिवासी हैं. ये आदिवासी समुदाय जिले के पांच तालुका यानी ब्लॉकों में रहते हैं. इनमें से अधिकांश इलाके में घने जंगल हैं.

जिला प्रशासन के आंकड़ों के मुताबिक चामराजनगर जिले में 23,182 आदिवासी रहते हैं जिनमें से अधिकांश का संबंध सोलिगा समुदाय से है. अन्य आदिवासी समुदायों में कदुकुरुबा और जेनुकुरुबा शामिल हैं.

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