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बीजेपी के राज में फले फूले थे चर्च, छत्तीसगढ़ सरकार ने किया दावा

छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार ने दावा किया है कि राज्य में आदिवासियों के धर्मांतरण के आरोप ग़लत हैं. सरकार ने दावा किया है कि बीजेपी जो राज्य में मुख्य विपक्ष है वो इस मसले पर भ्रम फैला रही है.

छत्तीसगढ़ सरकार ने यह भी दावा किया है कि दरअसल बीजेपी के राज में राज्य के आदिवासी इलाक़ों में ईसाई मिशनरियों की गतिविधियाँ ज़्यादा थीं.

छत्तीसगढ़ के उद्योग मंत्री कवासी लखमा ने मंगलवार को कहा कि राज्य सरकार आदिवासी बहुल इलाकों में धर्म परिवर्तन न हो, इसके लिए आदिवासी पूजा स्थलों देवगुडी को धन मुहैया करा रही है. 

जगदलपुर में पत्रकारों से बात करते हुए लखमा ने दावा किया कि राज्य में बीजेपी के 15 साल के शासन के दौरान बस्तर क्षेत्र के सुकमा जिले में 30 चर्च बनाए गए, जबकि कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद से वहां एक भी चर्च नहीं बना है.

छत्तीसगढ़ के पंडो आदिवासी

उन्होंने कहा कि कथित धर्मांतरण को लेकर कांग्रेस के खिलाफ बीजेपी के आरोप “निराधार राजनीतिक प्रचार” थे. बस्तर के एक प्रमुख आदिवासी नेता कवासी लखमा ने कहा कि उनके गृह जिले सुकमा में कोई धर्मांतरण नहीं हुआ है, मैंने जिला कलेक्टर से इसकी जांच की है और एक सर्वेक्षण भी किया है.

उन्होंने दावा किया, “15 वर्षों के दौरान (बीजेपी शासन के) 30 चर्चों का निर्माण (सुकमा में) किया गया, जबकि पिछले दो वर्षों में एक भी चर्च नहीं बना.” यह सुनिश्चित करने के लिए कि धर्मांतरण न हो और लोग चर्च न जाएं, राज्य सरकार देवगुडी को 5 लाख रुपये (प्रत्येक) और बस्तर में घोटुल को 10 लाख रुपये दे रही है.

उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि मंदिर और देवगुडी अच्छे आकार में हों और लोग वहां माथा टेकें. मंत्री ने दावा किया कि पिछले दो वर्षों में कोई धर्म परिवर्तन नहीं हुआ है.

देवगुडी आदिवासियों की पूजा की जगह है, जबकि घोटुल वह जगह है जहां आदिवासी लड़के और लड़कियां त्योहार मनाने के लिए इकट्ठा होते हैं और जहां वे अपना जीवन साथी चुन सकते हैं.

बीजेपी के वरिष्ठ विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने हालांकि आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकार आदिवासी क्षेत्रों में धर्मांतरण को रोकने के लिए कड़े कदम नहीं उठा रही है.

बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि बस्तर और राज्य के अन्य क्षेत्रों में आदिवासियों ने हाल के दिनों में धर्म परिवर्तन की कथित घटनाओं के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन किया है, लेकिन राज्य सरकार ने अभी तक उन्हें रोकने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया है.

पिछले महीने राज्य विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान बृजमोहन अग्रवाल ने एक निजी सदस्य का विधेयक पेश किया था जिसमें लालच या धोखाधड़ी के माध्यम से धर्म परिवर्तन पर रोक लगाने की मांग की गई थी, लेकिन इसे पेश करने की अनुमति नहीं दी गई थी.

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