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हसदेव जंगल के माइनिंग प्रोजेक्ट अनिश्चितकाल के लिए होल्ड पर रखे गए

हसदेव अरण्य के जंगल में तीन खदान परियोजनाओं (Mining Projects) को अनिश्चित काल के लिए रोक दिया गया है. छत्तीसगढ़ सरकार ने यह फ़ैसला सरगुजा और सूरजपुर के आदिवासियों के विरोध के कारण लिया है.

ख़बरों के अनुसार राज्य के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव के हस्तक्षेप के बाद यह फ़ैसला लिया गया है. टीएस सिंह देव 6 जून को उन गाँवों के दौरे पर गए थे जहां पर आदिवासी प्रदर्शन कर रहे थे.

इस दौरान टीएस सिंह देव ने अपनी ही सरकार के ख़िलाफ़ चल रहे आंदोलन को समर्थन दिया था. 

हालाँकि PEKB की पहले फ़ेज़ की माइनिंग चालू रहेगी. लेकिन दूसरे फ़ेज़ की माइनिंग के लिए सभी सरकारी प्रक्रिया को रोक दिया गया है. इसमें PKEB दूसरे फ़ेज़ , पारसा और केट एक्सटेंशन (PEKB, Parsa and Kete Extension Mining) माइनिंग को फ़िलहाल रोक दिया गया है. 

इस सिलसिले में सूरजपुर के कलेक्टर संजीव झा ने मीडिया को सरकार का फ़ैसला बताया है. उन्होंने कहा कि जो माइनिंग 2013 से चल रही है वो चालू रहेगी. 

छत्तीसगढ़ सरकार ने 841 हेक्टेयर जंगल पर पारसा माइनिंग की अंतिम अनुमति प्रदान की थी. यह अनुमति इसी साल 6 अप्रैल को ही दी गई थी. इससे पहले PEKB प्रोजेक्ट के लिए मार्च महीने में अनुमति दी गई थी.

कलेक्टर ने जानकारी दी है कि 1760 हेक्टेयर भूमि पर केंटे एक्सटेंशन माइनिंग के लिए 13 जून को होने वाली जन सुनवाई को भी रद्द कर दिया गया है. ये तीनों ही माइनिंग प्रोजेक्ट राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम को अलॉट हुए हैं. 

आंदोलन के लोगों की प्रतिक्रिया

हसदेव बचाओ आंदोलन से जुड़े आलोक शुक्ला ने इस बात की पुष्टि की है कि ज़िला प्रशासन ने इस तरह की घोषणा की है. लेकिन अभी तक इस सिलसिले में कोई औपचारिक नोटिफिकेशन नहीं आया है.

हसदेव को बचाने की लड़ाई पिछले दस साल से चल रही है

उन्होंने आगे कहा कि फ़िलहाल प्रशासन जो बता रहा है उसके अनुसार प्रोजेक्ट को होल्ड पर रखा जा रहा है. लेकिन आंदोलन तो इन प्रोजेक्ट्स को रद्द करने के लिए हो रहा है. 

हसदेव अरण्य मामले पर सियासत

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा था कि अगर टीएस सिंह देव चाहते हैं कि जंगल में एक भी पेड़ ना काटा जाए, तो फिर जंगल में पेड़ तो क्या एक डगाल (शाख़) भी नहीं काटी जाएगी. उसके बाद राज्य के शीर्ष अधिकारियों ने ज़िला प्रशासन को आदेश दिया कि प्रोजेक्ट को होल्ड पर रखा जाए.

भूपेश बघेल के एक क़रीबी ने बताया है कि सरकार ने टीएस सिंह देव के खुले विरोध के बाद यह फ़ैसला लिया है. उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने लेमरू हाथी कॉरिडोर का दायरा 450 वर्ग किलोमीटर से बढ़ा कर 3400 वर्ग किलोमीटर करने का फ़ैसला किया. इस फ़ैसले से इस इलाक़े में माइनिंग का रास्ता ही बंद हो जाता.

लेकिन उस समय टीएस सिंह देव ने इस फ़ैसले का विरोध किया था. क्योंकि उनका विधान सभा क्षेत्र भी उस दायरे में आ रहा था. 

टीएस सिंह देव ने मीडिया से बात करते हुए कहा है कि यह बात सही है कि जब एलिफ़ेंट कॉरिडोर को 3400 वर्ग किलोमीटर करने का फ़ैसला लिया गया था, उस समय लोगों ने इसका विरोध किया था.

उनका कहना था कि जहां हाथी का निवास नहीं है या जहां से वो आवाजाही नहीं करते हैं, उसे इस दायरे से बाहर रखा जाए. टीएस सिंह देव के अनुसार उन्होंने ग्रामीणों की बात को उठाया था.

उनकी अनुमति के बिना हसदेव में खनन की अनुमति को आगे नहीं बढ़ाने के फ़ैसले को उन्होंने बचकाना बताया है. उन्होंने कहा कि प्रशासन किसी एक व्यक्ति की वजह से एक प्रोजेक्ट को होल्ड पर कैसे रख सकता है.

राहुल गांधी की अदालत में मामला

पिछले दिनों राहुल गांधी से विदेश में हसदेव अरण्य से जुड़ा सवाल पूछा गया था. इस पर उन्होंने कहा था कि इस मसले पर पार्टी के भीतर चर्चा चल रही है. उन्होंने यह भी आश्वासन दिया था कि इस मसले पर जल्दी ही कुछ परिणाम सामने आएगा.

राहुल गांधी ने कहा था कि वह व्यक्तिगत तौर पर यह मानते हैं कि जंगल नहीं काटा जाना चाहिए. ऐसा बताया जा रहा है कि राज्य सरकार ने सब कुछ रोक दिया है क्योंकि अब मामला कांग्रेस पार्टी की हाई कमान तय करेगी. 

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