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दंतेवाड़ा में गिरफ़्तार महिला, आदिवासी अधिकार कार्यकर्ता या माओवादी!

छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में पुलिस ने 28 साल की हिडमे मरकाम को नक्सलवादी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में गिरफ़्तार किया है.

पुलिस का कहना है कि इस महिला के ख़िलाफ़ 2016 से 2020 के बीच माओवादी गतिविधियों में शामिल होने के कई मामले दर्ज हैं.

दूसरी तरफ़ कई जाने माने मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि हिडमे मरकाम एक सामाजिक और मानवाधिकार कार्यकर्ता हैं. इन कार्यकर्ताओं ने पुलिस कार्रावाई  का विरोध किया है और तुरंत हिडमे को रिहा करने की माँग की है. 

पुलिस अधिकारियों के अनुसार हिडमे मरकाम पर 1 लाख का इनाम रखा गया था. अधिकारियों के अनुसार पिछले साल जुलाई और अगस्त के महीने में हिडमे मरकाम पर कई संगीन धाराओं में मुक़दमे दर्ज हैं.

दंतेवाड़ा के एसपी अभिषेक पल्लव के हवाले से बताया गया है कि हिडमे मरकाम जनता सरकार नाम के संगठन की क्षेत्रीय अध्यक्ष हैं. हिडमे मरकाम को 19 मार्च तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है. 

हिडमे मरकाम को पुलिस ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के एक कार्यक्रम से गिरफ़्तार किया था. यह कार्यक्रम समेली नाम के गाँव में आयोजित किया गया था.

इस कार्यक्रम में आस-पास के गाँव की महिलाएँ भी शामिल थीं. इस कार्यक्रम में ये महिलाएँ एक आदिवासी लड़की पांडे कवासी को श्रद्धांजलि देने के लिए जमा हुई थीं.

इस लड़कियों ने पिछले महीने आत्मसमर्पण किया था. लेकिन आत्मसमर्पण के बाद उसने पुलिस लाइन में आत्महत्या कर ली थी. 

इस कार्यक्रम का आयोजन जेल बंदी रिहाई कमेटी और छत्तीसगढ़ महिला अधिकार मंच ने किया था. इस कार्यक्रम में आदिवासियों को पुलिस अत्याचार और आदिवासियों के अधिकारों पर जानकारी देने के लिए किया गया था. 

पुलिस अधिकारियों के अनुसार हिडमे मरकाम के इस कार्यक्रम में शामिल होने की जानकारी मिलने के बाद उन्हें ग़िरफ़्तार किया गया था.

इस गिरफ़्तारी में सभी क़ानूनी प्रक्रियाओं का पालन किया गया था. गिरफ़्तारी के बाद हिडमे मरकाम को मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया. मजिस्ट्रेट ने उन्हें 10 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया. 

हिडमे मरकाम की हिमायत में कई जाने माने सामाजिक कार्यकर्ता बोल रहे हैं. इन सामाजिक कार्यकर्ताओं में सोनी सोरी भी शामिल हैं.

सोनी सोरी ने मीडिया को बताया है कि वो ख़ुद उस कार्यक्रम में शामिल थीं. उन्होंने कहा कि हिडमे मरकाम की गिरफ़्तारी से पहले पुलिस ने कोई वजह नहीं बताई.

उन्होंने यह भी दावा किया कि हिडमे के उपर माओवादी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप बेबुनियाद हैं.

उन्होंने कहा है कि हिडमे आदिवासी हक़ों के लिए लड़ने वाली एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं. उन्होंने दावा किया कि हिडमे आदिवासी मसलों पर लगातार स्थानीय अधिकारियों से लेकर मुख्यमंत्री और गवर्नर तक से मिलती रही है. 

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